ਦਸਮ ਗਰੰਥ ਸਾਹਿਬ

दसम गरंथ साहिब

DASAM GRANTH SAHIB

ਮੁਖ ਭਾਗ 1

मुख भाग 1

CHAPTER 1

ਜਾਪੁ ਸਾਹਿਬ

जापु साहिब

JAPU SAHIB

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

The Lord is One and He can be attained through the grace of the true Guru.

ਸ੍ਰੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫ਼ਤਹ ॥

स्री वाहिगुरू जी की फ़तह ॥

The Lord is One and the victory is of the Lord.

ਜਾਪੁ ॥

जापु ॥

NAME OF THE BANI.

ਸ੍ਰੀ ਮੁਖਵਾਕ ਪਾਤਿਸਾਹੀ ੧੦ ॥

स्री मुखवाक पातिसाही १० ॥

The sacred utterance of The Tenth Sovereign:

ਛਪੈ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

छपै छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

CHHAPAI STANZA. BY THY GRACE

ਚੱਕ੍ਰ ਚਿਹਨ ਅਰੁ ਬਰਨ ਜਾਤਿ ਅਰੁ ਪਾਤਿ ਨਹਿਨ ਜਿਹ ॥

च्क्र चिहन अरु बरन जाति अरु पाति नहिन जिह ॥

He who is without mark or sign, He who is without caste or line.

ਰੂਪ ਰੰਗ ਅਰੁ ਰੇਖ ਭੇਖ ਕੋਊ ਕਹਿ ਨ ਸਕਤਿ ਕਿਹ ॥

रूप रंग अरु रेख भेख कोऊ कहि न सकति किह ॥

He who is without colour or form, and without any distinctive norm.

ਅਚਲ ਮੂਰਤਿ ਅਨਭਉ ਪ੍ਰਕਾਸ ਅਮਿਤੋਜਿ ਕਹਿਜੈ ॥

अचल मूरति अनभउ प्रकास अमितोजि कहिजै ॥

He who is without limit and motion, All effulgence, non-descript Ocean.

ਕੋਟਿ ਇੰਦ੍ਰ ਇੰਦ੍ਰਾਣਿ ਸਾਹੁ ਸਾਹਾਣਿ ਗਣਿਜੈ ॥

कोटि इंद्र इंद्राणि साहु साहाणि गणिजै ॥

The Lord of millions of Indras and kings, the Master of all worlds and beings.

ਤ੍ਰਿਭਵਣ ਮਹੀਪ ਸੁਰ ਨਰ ਅਸੁਰ ਨੇਤਿ ਨੇਤਿ ਬਨ ਤ੍ਰਿਣ ਕਹਤ ॥

त्रिभवण महीप सुर नर असुर नेति नेति बन त्रिण कहत ॥

Each twig of the foliage proclaims: “Not this Thou art

ਤ੍ਵ ਸਰਬ ਨਾਮ ਕਥੈ ਕਵਨ ਕਰਮ ਨਾਮ ਬਰਣਤ ਸੁਮਤਿ ॥੧॥

त्व सरब नाम कथै कवन करम नाम बरणत सुमति ॥१॥

All Thy Names cannot be told. One doth impart Thy Action-Name with benign heart.1.

ਭੁਜੰਗ ਪ੍ਰਯਾਤ ਛੰਦ ॥

भुजंग प्रयात छंद ॥

BHUJANG PRAYAAT STANZA

ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਕਾਲੇ ॥ ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਕ੍ਰਿਪਾਲੇ ॥

नमसत्वं अकाले ॥ नमसत्वं क्रिपाले ॥

Salutation to Thee O Timeless Lord! Salutation to Thee O Beneficent Lord!

ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਰੂਪੇ ॥ ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਨੂਪੇ ॥੨॥

नमसत्वं अरूपे ॥ नमसत्वं अनूपे ॥२॥

Salutation to Thee O Formless Lord! Salutation to Thee O Wonderful Lord! 2.

ਨਮਸਤੰ ਅਭੇਖੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਲੇਖੇ ॥

नमसतं अभेखे ॥ नमसतं अलेखे ॥

Salutation to Thee O Garbless Lord! Salutation to Thee O Accountless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਕਾਏ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਜਾਏ ॥੩॥

नमसतं अकाए ॥ नमसतं अजाए ॥३॥

Salutation to Thee O Bodyless Lord! Salutation to Thee O Unborn Lord!3.

ਨਮਸਤੰ ਅਗੰਜੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੰਜੇ ॥

नमसतं अगंजे ॥ नमसतं अभंजे ॥

Salutation to Thee O Indestructible Lord! Salutation to Thee O Indivisible Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਨਾਮੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਠਾਮੇ ॥੪॥

नमसतं अनामे ॥ नमसतं अठामे ॥४॥

Salutation to Thee O Nameless Lord! Salutation to Thee O Non-Spatial Lord! 4.

ਨਮਸਤੰ ਅਕਰਮੰ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਧਰਮੰ ॥

नमसतं अकरमं ॥ नमसतं अधरमं ॥

Salutation to Thee O Deedless Lord! Salutation to Thee O Non-Religious Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਨਾਮੰ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਧਾਮੰ ॥੫॥

नमसतं अनामं ॥ नमसतं अधामं ॥५॥

Salutation to Thee O Nameless Lord! Salutation to Thee O Abodeless Lord! 5.

ਨਮਸਤੰ ਅਜੀਤੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੀਤੇ ॥

नमसतं अजीते ॥ नमसतं अभीते ॥

Salutation to Thee O Unconquerable Lord! Salutation to Thee O Fearless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਬਾਹੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਢਾਹੇ ॥੬॥

नमसतं अबाहे ॥ नमसतं अढाहे ॥६॥

Salutation to Thee O Vehicleless Lord! Salutation to Thee O Unfallen Lord! 6.

ਨਮਸਤੰ ਅਨੀਲੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਨਾਦੇ ॥

नमसतं अनीले ॥ नमसतं अनादे ॥

Salutation to Thee O Colourless Lord! Salutation to Thee O Beginningless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਛੇਦੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਗਾਧੇ ॥੭॥

नमसतं अछेदे ॥ नमसतं अगाधे ॥७॥

Salutation to Thee O Blemishless Lord! Salutation to Thee O Infinite Lord! 7.

ਨਮਸਤੰ ਅਗੰਜੇ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੰਜੇ ॥

नमसतं अगंजे॥ नमसतं अभंजे ॥

Salutation to Thee O Cleaveless Lord! Salutation to Thee O Partless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਉਦਾਰੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਪਾਰੇ ॥੮॥

नमसतं उदारे ॥ नमसतं अपारे ॥८॥

Salutation to Thee O Generous lord! Salutation to Thee O Limitless Lord! 8.

ਨਮਸਤੰ ਸੁ ਏਕੈ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਨੇਕੈ ॥

नमसतं सु एकै ॥ नमसतं अनेकै ॥

Salutation to Thee O THE ONLY ONE LORD! Salutation to Thee O The Multi-form Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਭੂਤੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਜੂਪੇ ॥੯॥

नमसतं अभूते ॥ नमसतं अजूपे ॥९॥

Salutation to Thee O Non-elemental Lord! Salutation to Thee O Bondless Lord!9.

ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਕਰਮੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਭਰਮੇ ॥

नमसतं न्रिकरमे ॥ नमसतं न्रिभरमे ॥

Salutation to Thee O Deedless Lord! Salutation to Thee O Doubtless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਦੇਸੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਭੇਸੇ ॥੧੦॥

नमसतं न्रिदेसे ॥ नमसतं न्रिभेसे ॥१०॥

Salutation to Thee O Homeless Lord! Salutation to Thee O Garbless Lord! 10.

ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਨਾਮੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਕਾਮੇ ॥

नमसतं न्रिनामे ॥ नमसतं न्रिकामे ॥

Salutation to Thee O Nameless Lord! Salutation to Thee O Desireless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਧਾਤੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਘਾਤੇ ॥੧੧॥

नमसतं न्रिधाते ॥ नमसतं न्रिघाते ॥११॥

Salutation to Thee O Non-elemental Lord! Salutation to Thee O invincible Lord!11.

ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਧੂਤੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੂਤੇ ॥

नमसतं न्रिधूते ॥ नमसतं अभूते ॥

Salutation to Thee O Motionless Lord! Salutation to Thee O Elementless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਲੋਕੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਸੋਕੇ ॥੧੨॥

नमसतं अलोके ॥ नमसतं असोके ॥१२॥

Salutation to Thee O Invinciblle Lord! Salutation to Thee O Griefless Lord! 12.

ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਤਾਪੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਥਾਪੇ ॥

नमसतं न्रितापे ॥ नमसतं अथापे ॥

Salutation to Thee O Woeless Lord! Salutation to Thee O Non-established Lord!

ਨਮਸਤੰ ਤ੍ਰਿਮਾਨੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਨਿਧਾਨੇ ॥੧੩॥

नमसतं त्रिमाने ॥ नमसतं निधाने ॥१३॥

Salutation to Thee O Universally-Honoured Lord! Salutation to Thee O Treasure Lord! 13.

ਨਮਸਤੰ ਅਗਾਹੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਬਾਹੇ ॥

नमसतं अगाहे ॥ नमसतं अबाहे ॥

Salutation to Thee O Bottomless Lord! Salutation to Thee O Motionless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਤ੍ਰਿਬਰਗੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਸਰਗੇ ॥੧੪॥

नमसतं त्रिबरगे ॥ नमसतं असरगे ॥१४॥

Salutation to Thee O Virtue-full Lord! Salutation to Thee O Unborn Lord! 14.

ਨਮਸਤੰ ਪ੍ਰਭੋਗੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਸੁਜੋਗੇ ॥

नमसतं प्रभोगे ॥ नमसतं सुजोगे ॥

Salutation to Thee O Enjoyer Lord! Salutation to Thee O Well-united Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਰੰਗੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੰਗੇ ॥੧੫॥

नमसतं अरंगे ॥ नमसतं अभंगे ॥१५॥

Salutation to Thee O Colourless Lord! Salutation to Thee O Immortal Lord! 15.

ਨਮਸਤੰ ਅਗੰਮੇ ॥ ਨਮਸਤਸਤੁ ਰੰਮੇ ॥

नमसतं अगमे ॥ नमसतसतु रमे ॥

Salutation to Thee O Unfathomable Lord! Salutation to Thee O All-Pervasive Lord!

ਨਮਸਤੰ ਜਲਾਸਰੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਨਿਰਾਸਰੇ ॥੧੬॥

नमसतं जलासरे ॥ नमसतं निरासरे ॥१६॥

Salutation to Thee O Water-Sustainer Lord! Salutation to Thee O Propless Lord!16.

ਨਮਸਤੰ ਅਜਾਤੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਪਾਤੇ ॥

नमसतं अजाते ॥ नमसतं अपाते ॥

Salutation to Thee O Casteless Lord! Salutation to Thee O Lineless Lord !

ਨਮਸਤੰ ਅਮਜਬੇ ॥ ਨਮਸਤਸਤੁ ਅਜਬੇ ॥੧੭॥

नमसतं अमजबे ॥ नमसतसतु अजबे ॥१७॥

Salutation to Thee O Religionless Lord! Salutation to Thee O Wonderful Lord! 17.

ਅਦੇਸੰ ਅਦੇਸੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੇਸੇ ॥

अदेसं अदेसे ॥ नमसतं अभेसे ॥

Salutation to Thee O Homeless Lord! Salutation to Thee O Garbless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਧਾਮੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਬਾਮੇ ॥੧੮॥

नमसतं न्रिधामे ॥ नमसतं न्रिबामे ॥१८॥

Salutation to Thee O Abodeless Lord! Salutation to Thee O Spouseless Lord! 18.

ਨਮੋ ਸਰਬ ਕਾਲੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਦਿਆਲੇ ॥

नमो सरब काले ॥ नमो सरब दिआले ॥

Salutation to Thee O All-destroyer Lord! Salutation to Thee O Entirely Generous Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਰੂਪੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਭੂਪੇ ॥੧੯॥

नमो सरब रूपे ॥ नमो सरब भूपे ॥१९॥

Salutation to Thee O Mullti-form Lord! Salutation to Thee O Universal King Lord!19.

ਨਮੋ ਸਰਬ ਖਾਪੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਥਾਪੇ ॥

नमो सरब खापे ॥ नमो सरब थापे ॥

Salutation to Thee O Destroyer Lord! Salutation to Thee O Establisher Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਕਾਲੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਪਾਲੇ ॥੨੦॥

नमो सरब काले ॥ नमो सरब पाले ॥२०॥

Salutation to Thee O Annihilator Lord! Salutation to Thee O All-sustainer Lord!20

ਨਮਸਤਸਤੁ ਦੇਵੈ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੇਵੈ ॥

नमसतसतु देवै ॥ नमसतं अभेवै ॥

Salutation to Thee O Divine Lord! Salutation to Thee O Mysterious Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਜਨਮੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਸੁਬਨਮੇ ॥੨੧।

नमसतं अजनमे ॥ नमसतं सुबनमे ॥२१।

Salutation to Thee O Unborn Lord! Salutation to Thee O Loveliest Lord! 21.

ਨਮੋ ਸਰਬ ਗਉਨੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਭਉਨੇ ॥

नमो सरब गउने ॥ नमो सरब भउने ॥

Salutation to Thee O All-Pervasive Lord! Salutation of Thee O All-Permeator Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਰੰਗੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਭੰਗੇ ॥੨੨॥

नमो सरब रंगे ॥ नमो सरब भंगे ॥२२॥

Salutation to Thee O All-loving Lord ! Salutation to Thee O All-destroying Lord!22.

ਨਮੋ ਕਾਲ ਕਾਲੇ ॥ ਨਮਸਤਸਤੁ ਦਿਆਲੇ ॥

नमो काल काले ॥ नमसतसतु दिआले ॥

Salutation to Thee O Death-destroyer Lord! Salutation to Thee O Beneficent Lord!

ਨਮਸਤੰ ਅਬਰਨੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਮਰਨੇ ॥੨੩॥

नमसतं अबरने ॥ नमसतं अमरने ॥२३॥

Salutation to Thee O Colourless Lord! Salutation to Thee O Deathless Lord! 23.

ਨਮਸਤੰ ਜਰਾਰੰ ॥ ਨਮਸਤੰ ਕ੍ਰਿਤਾਰੰ ॥

नमसतं जरारं ॥ नमसतं क्रितारं ॥

Salutation to Thee O Omnipotent Lord! Salutation to Thee O Doer Lord.

ਨਮੋ ਸਰਬ ਧੰਧੇ ॥ ਨਮੋ ਸਤ ਅਬੰਧੇ ॥੨੪॥

नमो सरब धंधे ॥ नमो सत अबंधे ॥२४॥

Salutation to Thee O Involved Lord! Salutation to Thee O Detached Lord!24.

ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਸਾਕੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਨ੍ਰਿਬਾਕੇ ॥

नमसतं न्रिसाके ॥ नमसतं न्रिबाके ॥

Salutation to Thee O Kindredless Lord! Salutation to Thee O Fearless Lord!

ਨਮਸਤੰ ਰਹੀਮੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਕਰੀਮੇ ॥੨੫॥

नमसतं रहीमे ॥ नमसतं करीमे ॥२५॥

Salutation to Thee O Generous Lord! Salutation to Thee O Merciful Lord!25.

ਨਮਸਤੰ ਅਨੰਤੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਮਹੰਤੇ ॥

नमसतं अनंते ॥ नमसतं महंते ॥

Salutation to Thee O Infinite Lord! Salutation to the Thee O Greatest Lord!

ਨਮਸਤਸਤੁ ਰਾਗੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਸੁਹਾਗੇ ॥੨੬॥

नमसतसतु रागे ॥ नमसतं सुहागे ॥२६॥

Salutation to Thee O Lover Lord! Salutation to Thee O Universal Master Lord!26.

ਨਮੋ ਸਰਬ ਸੋਖੰ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਪੋਖੰ ॥

नमो सरब सोखं ॥ नमो सरब पोखं ॥

Salutation to Thee O Destroyer Lord! Salutation to Thee O Sustainer Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਕਰਤਾ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਹਰਤਾ ॥੨੭॥

नमो सरब करता ॥ नमो सरब हरता ॥२७॥

Salutation to Thee O Creator Lord ! Salutation to Thee O Great Indulger Lord! 27.

ਨਮੋ ਜੋਗ ਜੋਗੇ ॥ ਨਮੋ ਭੋਗ ਭੋਗੇ ॥

नमो जोग जोगे ॥ नमो भोग भोगे ॥

Salutation to Thee O Greatest Yogi Lord ! Salutation to Thee Great Indulger Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਦਿਆਲੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਪਾਲੇ ॥੨੮॥

नमो सरब दिआले ॥ नमो सरब पाले ॥२८॥

Salutation to Thee O Gracious Lord! Salutation to Thee O sustainer Lord! 28.

ਚਾਚਰੀ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

चाचरी छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

CHACHARI STANZA. BY THY GRACE

ਅਰੂਪ ਹੈਂ ॥ ਅਨੂਪ ਹੈਂ ॥

अरूप हैं ॥ अनूप हैं ॥

Thou art Formless Lord ! Thou art Unparalleled Lord!

ਅਜੂ ਹੈਂ ॥ ਅਭੂ ਹੈਂ ॥੨੯॥

अजू हैं ॥ अभू हैं ॥२९॥

Thou art Unborn Lord! Thou art Non-Being Lord!29.

ਅਲੇਖ ਹੈਂ ॥ ਅਭੇਖ ਹੈਂ ॥

अलेख हैं ॥ अभेख हैं ॥

Thou art Unaccountable Lord! Thou art Garbless Lord!

ਅਨਾਮ ਹੈਂ ॥ ਅਕਾਮ ਹੈਂ ॥੩੦॥

अनाम हैं ॥ अकाम हैं ॥३०॥

Thou art Nameless Lord! Thou art Desireless Lord! 30.

ਅਧੇ ਹੈਂ ॥ ਅਭੇ ਹੈਂ ॥

अधे हैं ॥ अभे हैं ॥

Thou art Propless Lord! Thou art Non-Discriminating Lord!

ਅਜੀਤ ਹੈਂ ॥ ਅਭੀਤ ਹੈਂ ॥੩੧॥

अजीत हैं ॥ अभीत हैं ॥३१॥

Thou art Unconquerable Lord! Thou art Fearless Lord! 31.

ਤ੍ਰਿਮਾਨ ਹੈਂ ॥ ਨਿਧਾਨ ਹੈਂ ॥

त्रिमान हैं ॥ निधान हैं ॥

Thou art Universally-Honoured Lord! Thou art the Treasure Lord!

ਤ੍ਰਿਬਰਗ ਹੈ ॥ ਅਸਰਗ ਹੈਂ ॥੩੨॥

त्रिबरग है ॥ असरग हैं ॥३२॥

Thou art Master of Attributes Lord! Thou art Unborn Lord! 32.

ਅਨੀਲ ਹੈਂ ॥ ਅਨਾਦਿ ਹੈਂ ॥

अनील हैं ॥ अनादि हैं ॥

Thou art Colourless Lord! Thou art Beginningless Lord!

ਅਜੇ ਹੈਂ ॥ ਅਜਾਦਿ ਹੈਂ ॥੩੩॥

अजे हैं ॥ अजादि हैं ॥३३॥

Thou art Unborn Lord! Thou art Independent Lord! 33.

ਅਜਨਮ ਹੈਂ ॥ ਅਬਰਨ ਹੈਂ ॥

अजनम हैं ॥ अबरन हैं ॥

Thou art Unborn Lord! Thou art Colourless Lord!

ਅਭੂਤ ਹੈਂ ॥ ਅਭਰਨ ਹੈਂ ॥੩੪॥

अभूत हैं ॥ अभरन हैं ॥३४॥

Thou art Elementless Lord! Thou art Perfect Lord! 34.

ਅਗੰਜ ਹੈਂ ॥ ਅਭੰਜ ਹੈਂ ॥

अगंज हैं ॥ अभंज हैं ॥

Thou art Invincible Lord! Thou art Unbreakable Lord!

ਅਝੂਝ ਹੈਂ ॥ ਅਝੰਝ ਹੈਂ ॥੩੫॥

अझूझ हैं ॥ अझंझ हैं ॥३५॥

Thou art Unconquerable Lord! Thou are Tensionless Lord! 35.

ਅਮੀਕ ਹੈਂ ॥ ਰਫ਼ੀਕ ਹੈਂ ॥

अमीक हैं ॥ रफ़ीक हैं ॥

Thou art Deepest Lord! Thou art Friendliest Lord!

ਅਧੰਧ ਹੈਂ ॥ ਅਬੰਧ ਹੈਂ ॥੩੬॥

अधंध हैं ॥ अबंध हैं ॥३६॥

Thou art Strife less Lord! Thou art Bondless Lord! 36.

ਨ੍ਰਿਬੂਝ ਹੈਂ ॥ ਅਸੂਝ ਹੈਂ ॥

न्रिबूझ हैं ॥ असूझ हैं ॥

Thou art Unthinkable Lord! Thou art Unknowable Lord!

ਅਕਾਲ ਹੈਂ ॥ ਅਜਾਲ ਹੈਂ ॥੩੭॥

अकाल हैं ॥ अजाल हैं ॥३७॥

Thou art Immortal Lord! Thou art Unbound Lord! 37.

ਅਲਾਹ ਹੈਂ ॥ ਅਜਾਹ ਹੈਂ ॥

अलाह हैं ॥ अजाह हैं ॥

Thou art Unbound Lord! Thou art Placeless Lord!

ਅਨੰਤ ਹੈਂ ॥ ਮਹੰਤ ਹੈਂ ॥੩੮॥

अनंत हैं ॥ महंत हैं ॥३८॥

Thou art Infinite Lord! Thou art Greatest Lord! 38.

ਅਲੀਕ ਹੈਂ ॥ ਨ੍ਰਿਸ੍ਰੀਕ ਹੈਂ ॥

अलीक हैं ॥ न्रिस्रीक हैं ॥

Thou art Limitless Lord! Thou art Unparalleled Lord!

ਨ੍ਰਿਲੰਭ ਹੈਂ ॥ ਅਸੰਭ ਹੈਂ॥੩੯॥

न्रिल्मभ हैं ॥ अस्मभ हैं॥३९॥

Thou art Propless Lord! Thou art Unborn Lord! 39.

ਅਗੰਮ ਹੈਂ ॥ ਅਜੰਮ ਹੈਂ ॥

अगम हैं ॥ अजम हैं ॥

Thou art Unfathomable Lord! Thou art Unborn Lord!

ਅਭੂਤ ਹੈਂ ॥ ਅਛੂਤ ਹੈਂ ॥੪੦॥

अभूत हैं ॥ अछूत हैं ॥४०॥

Thou art Elementless Lord! Thou art Uncontaminated Lord! 40.

ਅਲੋਕ ਹੈਂ ॥ ਅਸੋਕ ਹੈਂ ॥

अलोक हैं ॥ असोक हैं ॥

Thou art All-Pervasive Lord! Thou art Woeless Lord!

ਅਕਰਮ ਹੈਂ ॥ ਅਭਰਮ ਹੈਂ ॥੪੧॥

अकरम हैं ॥ अभरम हैं ॥४१॥

Thou art Deedless Lord! Thou art Illusionless Lord! 41.

ਅਜੀਤ ਹੈਂ ॥ ਅਭੀਤ ਹੈਂ ॥

अजीत हैं ॥ अभीत हैं ॥

Thou art Unconquerable Lord! Thou art Fearless Lord!

ਅਬਾਹ ਹੈਂ ॥ ਅਗਾਹ ਹੈਂ ॥੪੨॥

अबाह हैं ॥ अगाह हैं ॥४२॥

Thou art Motionless Lord! Thou art Unfathomable Lord.42.

ਅਮਾਨ ਹੈਂ ॥ ਨਿਧਾਨ ਹੈਂ ॥

अमान हैं ॥ निधान हैं ॥

Thou art Immeasurable Lord! Thou art the Treasure Lord!

ਅਨੇਕ ਹੈਂ ॥ ਫਿਰਿ ਏਕ ਹੈਂ ॥੪੩॥

अनेक हैं ॥ फिरि एक हैं ॥४३॥

Thou art Manifold Lord! Thou art the Only one Lord! 43.

ਭੁਜੰਗ ਪ੍ਰਯਾਤ ਛੰਦ ॥

भुजंग प्रयात छंद ॥

BHUJANG PRAYAAT STANZA

ਨਮੋ ਸਰਬ ਮਾਨੇ ॥ ਸਮਸਤੀ ਨਿਧਾਨੇ ॥

नमो सरब माने ॥ समसती निधाने ॥

Salutation to Thee O Universally-Honoured Lord! Salutation to Thee O the Treasure Lord!

ਨਮੋ ਦੇਵ ਦੇਵੇ ॥ ਅਭੇਖੀ ਅਭੇਵੇ ॥੪੪॥

नमो देव देवे ॥ अभेखी अभेवे ॥४४॥

Salutation to Thee O Greatest Lord! Salutation to Thee O Garbless Lord! 44.

ਨਮੋ ਕਾਲ ਕਾਲੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਪਾਲੇ ॥

नमो काल काले ॥ नमो सरब पाले ॥

Salutation to Thee O Death-Destroyer Lord! Salutation to Thee O Sustainer Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਗਉਣੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਭਉਣੇ ॥੪੫॥

नमो सरब गउणे ॥ नमो सरब भउणे ॥४५॥

Salutation to Thee O All-Pervasive Lord! Salutation to Thee O Sustainer Lord!45.

ਅਨੰਗੀ ਅਨਾਥੇ ॥ ਨ੍ਰਿਸੰਗੀ ਪ੍ਰਮਾਥੇ ॥

अनंगी अनाथे ॥ न्रिसंगी प्रमाथे ॥

Salutation to Thee O Limitless Lord! Salutation to Thee O Masterless Lord!

ਨਮੋ ਭਾਨ ਭਾਨੇ ॥ ਨਮੋ ਮਾਨ ਮਾਨੇ ॥੪੬॥

नमो भान भाने ॥ नमो मान माने ॥४६॥

Salutation to Thee O Omnipotent Lord! Salutation to Thee O Greatest Sun Lord!46.

ਨਮੋ ਚੰਦ੍ਰ ਚੰਦ੍ਰੇ ॥ ਨਮੋ ਭਾਨ ਭਾਨੇ ॥

नमो चंद्र चंद्रे ॥ नमो भान भाने ॥

Salutation to Thee O Moon-Soverieign Lord! Salutation to Thee O Sun-Sovereign Lord!

ਨਮੋ ਗੀਤ ਗੀਤੇ ॥ ਨਮੋ ਤਾਨ ਤਾਨੇ ॥੪੭॥

नमो गीत गीते ॥ नमो तान ताने ॥४७॥

Salutation to Thee O Supreme Song Lord! Salutation to Thee O Supreme Tune Lord! 47.

ਨਮੋ ਨ੍ਰਿੱਤ ਨਿੱ੍ਰਤੇ ॥ ਨਮੋ ਨਾਦ ਨਾਦੇ ॥

नमो न्रि्त नि्रते ॥ नमो नाद नादे ॥

Salutation to Thee O Supreme Dance Lord! Salutation to Thee O Supreme Sound Lord!

ਨਮੋ ਪਾਨ ਪਾਨੇ ॥ ਨਮੋ ਬਾਦ ਬਾਦੇ ॥੪੮॥

नमो पान पाने ॥ नमो बाद बादे ॥४८॥

Salutation to Thee O Water-Essence Lord! Salutation to Thee O Air-Essence Lord! 48.

ਅਨੰਗੀ ਅਨਾਮੇ ॥ ਸਮਸਤੀ ਸਰੂਪੇ ॥

अनंगी अनामे ॥ समसती सरूपे ॥

Salutation to Thee O Bodyless Lord! Salutation to Thee O Nameless Lord ! Salutation to Thee O All-Form Lord!

ਪ੍ਰਭੰਗੀ ਪ੍ਰਮਾਥੇ ॥ ਸਮਸਤੀ ਬਿਭੂਤੇ ॥੪੯॥

प्रभंगी प्रमाथे ॥ समसती बिभूते ॥४९॥

Salutation to Thee O Destroyer Lord! Salutation to Thee O Omnipotent Lord! Salutation to Thee O Greatest to All Lord! 49.

ਕਲੰਕੰ ਬਿਨਾ ਨੇਕਲੰਕੀ ਸਰੂਪੇ ॥

कलंकं बिना नेकलंकी सरूपे ॥

Salutation to Thee O Supreme Sovereign Lord! Salutation to Thee O Most Beautiful Lord!

ਨਮੋ ਰਾਜ ਰਾਜੇਸ੍ਵਰੰ ਪਰਮ ਰੂਪੇ ॥੫੦॥

नमो राज राजेस्वरं परम रूपे ॥५०॥

Salutation to Thee O Supreme Sovereign Lord! Salutation to Thee Most Beautiful Lord! 50.

ਨਮੋ ਜੋਗ ਜੋਗੇਸ੍ਵਰੰ ਪਰਮ ਸਿੱਧੇ ॥

नमो जोग जोगेस्वरं परम सि्धे ॥

Salutation to Thee O Supreme Yogi Lord! Salutation to Thee O Supreme Adept Lord!

ਨਮੋ ਰਾਜ ਰਾਜੇਸ੍ਵਰੰ ਪਰਮ ਬ੍ਰਿਧੇ ॥੫੧॥

नमो राज राजेस्वरं परम ब्रिधे ॥५१॥

Salutation to Thee O Supreme Emperor Lord! Salutation to Thee O Supreme Entity Lord! 51.

ਨਮੋ ਸਸਤ੍ਰ ਪਾਣੇ ॥ ਨਮੋ ਅਸਤ੍ਰ ਮਾਣੇ ॥

नमो ससत्र पाणे ॥ नमो असत्र माणे ॥

Salutation to Thee O Weapon-wielder Lord! Salutation to Thee O Weapon-user Lord!

ਨਮੋ ਪਰਮ ਗਿਆਤਾ ॥ ਨਮੋ ਲੋਕ ਮਾਤਾ ॥੫੨॥

नमो परम गिआता ॥ नमो लोक माता ॥५२॥

Salutation to Thee O Supreme Knower Lord! Salutation to Thee O Universal Mother Lord! 52.

ਅਭੇਖੀ ਅਭਰਮੀ ਅਭੋਗੀ ਅਭੁਗਤੇ ॥

अभेखी अभरमी अभोगी अभुगते ॥

Salutation to Thee Garbless Lord! Salutation to Thee O Illusionless Lord! Salutation to Thee O Temptationless Lord!

ਨਮੋ ਜੋਗ ਜੋਗੇਸ੍ਵਰੰ ਪਰਮ ਜੁਗਤੇ ॥੫੩॥

नमो जोग जोगेस्वरं परम जुगते ॥५३॥

Salutation to Thee O Supreme Yogi Lord! Salutation to Thee O Supremely-disciplined Lord!53.

ਨਮੋ ਨਿੱਤ ਨਾਰਾਇਣੇ ਕਰੂਰ ਕਰਮੇ ॥

नमो नि्त नाराइणे करूर करमे ॥

Salutation to Thee O Benign Protector Lord! Salutation to Thee O Heinous-actions-Performer Lord!

ਨਮੋ ਪ੍ਰੇਤ ਅਪ੍ਰੇਤ ਦੇਵੇ ਸੁਧਰਮੇ ॥੫੪॥

नमो प्रेत अप्रेत देवे सुधरमे ॥५४॥

Salutation to Thee O Virtuous-Sustainer Lord ! Salutation to Thee O Love-Incarnate Lord! 54.

ਨਮੋ ਰੋਗ ਹਰਤਾ ਨਮੋ ਰਾਗ ਰੂਪੇ ॥

नमो रोग हरता नमो राग रूपे ॥

Salutation to Thee O Ailments-remover Lord! Salutation to Thee O Love-Incarnate Lord!

ਨਮੋ ਸਾਹ ਸਾਹੰ ਨਮੋ ਭੂਪ ਭੂਪੇ ॥੫੫॥

नमो साह साहं नमो भूप भूपे ॥५५॥

Salutation to Thee O Supreme Emperor Lord! Salutation to Thee O Supreme Sovereign Lord! 55.

ਨਮੋ ਦਾਨ ਦਾਨੇ ਨਮੋ ਮਾਨ ਮਾਨੇ ॥

नमो दान दाने नमो मान माने ॥

Salutation to Thee O Greatest Donor Lord! Salutation to Thee O Greatest-Honours-Recipient Lord!

ਨਮੋ ਰੋਗ ਰੋਗੇ ਨਮਸਤੰ ਸਨਾਨੇ ॥੫੬॥

नमो रोग रोगे नमसतं सनाने ॥५६॥

Salutation to Thee O Ailments-Destroyer Lord! Salutation to Thee O Health-Restorer Lord! 56.

ਨਮੋ ਮੰਤ੍ਰ ਮੰਤ੍ਰੰ ॥ ਨਮੋ ਜੰਤ੍ਰ ਜੰਤ੍ਰੰ ॥

नमो मंत्र मंत्रं ॥ नमो जंत्र जंत्रं ॥

Salutation to Thee O Supreme Mantra Lord! Salutation to Thee O Supreme Yantra Lord!

ਨਮੋ ਇਸਟ ਇਸਟੇ ॥ ਨਮੋ ਤੰਤ੍ਰ ਤੰਤ੍ਰੰ ॥੫੭॥

नमो इसट इसटे ॥ नमो तंत्र तंत्रं ॥५७॥

Salutation to Thee O Highest-Worship-Entity Lord! Salutation to Thee O Supreme Tantra Lord! 57.

ਸਦਾ ਸੱਚਦਾਨੰਦ ਸਰਬੰ ਪ੍ਰਣਾਸੀ ॥

सदा स्चदानंद सरबं प्रणासी ॥

Thou art ever Lord Truth, Consciousness and Bliss;

ਅਨੂਪੇ ਅਰੂਪੇ ਸਮਸਤੁਲ ਨਿਵਾਸੀ ॥੫੮॥

अनूपे अरूपे समसतुल निवासी ॥५८॥

Unique, Formless, All-Pervading and All-Destoryer.58.

ਸਦਾ ਸਿਧਿਦਾ ਬੁਧਿਦਾ ਬ੍ਰਿਧਿ ਕਰਤਾ ॥

सदा सिधिदा बुधिदा ब्रिधि करता ॥

Thou art the Giver of riches and wisdom and Promoter.

ਅਧੋ ਉਰਧ ਅਰਧੰ ਅਘੰ ਓਘ ਹਰਤਾ ॥੫੯॥

अधो उरध अरधं अघं ओघ हरता ॥५९॥

Thou Pervadest netherworld, heaven and space and Destroyer of inumerable sins.59.

ਪਰੰ ਪਰਮ ਪਰਮੇਸ੍ਵਰੰ ਪ੍ਰੋਛ ਪਾਲੰ ॥

परं परम परमेस्वरं प्रोछ पालं ॥

Thou art the Supreme Master and Sustain all without being seen,

ਸਦਾ ਸਰਬਦਾ ਸਿਧਿ ਦਾਤਾ ਦਿਆਲੰ ॥੬੦॥

सदा सरबदा सिधि दाता दिआलं ॥६०॥

Thou art ever the Donor of riches and merciful.60.

ਅਛੇਦੀ ਅਭੇਦੀ ਅਨਾਮੰ ਅਕਾਮੰ ॥

अछेदी अभेदी अनामं अकामं ॥

Thou art Invincible, Unbreakable, Nameless and Lustless.

ਸਮਸਤੋ ਪਰਾਜੀ ਸਮਸਤਸਤੁ ਧਾਮੰ ॥੬੧॥

समसतो पराजी समसतसतु धामं ॥६१॥

Thou art Victorious over all and art present every-where.61.

ਤੇਰਾ ਜੋਰੁ ॥ ਚਾਚਰੀ ਛੰਦ ॥

तेरा जोरु ॥ चाचरी छंद ॥

ALL THY MIGHT. CHACHARI STANZA

ਜਲੇ ਹੈਂ ॥ ਥਲੇ ਹੈਂ ॥

जले हैं ॥ थले हैं ॥

Thou art in water. Thou art on land.

ਅਭੀਤ ਹੈਂ ॥ ਅਭੇ ਹੈਂ ॥੬੨॥

अभीत हैं ॥ अभे हैं ॥६२॥

Thou art Fearless. Thou art Indiscriminate.62.

ਪ੍ਰਭੂ ਹੈਂ ॥ ਅਜੂ ਹੈਂ ॥

प्रभू हैं ॥ अजू हैं ॥

Thou art the Master of all. Thou art Unborn.

ਅਦੇਸ ਹੈਂ ॥ ਅਭੇਸ ਹੈਂ ॥੬੩॥

अदेस हैं ॥ अभेस हैं ॥६३॥

Thou art Countryless. Thou art Garbless.63.

ਭੁਜੰਗ ਪ੍ਰਯਾਤ ਛੰਦ ॥

भुजंग प्रयात छंद ॥

BHUJANG PRAYAAT STANZA,

ਅਗਾਧੇ ਅਬਾਧੇ ॥ ਅਨੰਦੀ ਸਰੂਪੇ ॥

अगाधे अबाधे ॥ अनंदी सरूपे ॥

Salutation to Thee O Impenetrable Lord! Salutation to Thee O Unbound Lord! Salutation to Thee O All-Bliss Entity Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਮਾਨੇ ॥ ਸਮਸਤੀ ਨਿਧਾਨੇ ॥੬੪॥

नमो सरब माने ॥ समसती निधाने ॥६४॥

Salutation to Thee O Universally-Honoured Lord! Salutation to Thee O All-Treasure Lord! 64.

ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਨ੍ਰਿਨਾਥੇ ॥ ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਪ੍ਰਮਾਥੇ ॥

नमसत्वं न्रिनाथे ॥ नमसत्वं प्रमाथे ॥

Salutation to Thee O Masterless Lord! Salutation to Thee O Destroyer Lord!

ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਗੰਜੇ ॥ ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਭੰਜੇ ॥੬੫॥

नमसत्वं अगंजे ॥ नमसत्वं अभंजे ॥६५॥

Salutation to Thee O Unconquerable Lord! Salutation to Thee O Invincible Lord!65.

ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਕਾਲੇ ॥ ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਪਾਲੇ ॥

नमसत्वं अकाले ॥ नमसत्वं अपाले ॥

Salutation to Thee O Deathless Lord! Salutation to Thee O Patronless Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਦੇਸੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਭੇਸੇ ॥੬੬॥

नमो सरब देसे ॥ नमो सरब भेसे ॥६६॥

Salutation to Thee O All-Pervasive Lord! Salutation to Thee O All-garb Lord! 66.

ਨਮੋ ਰਾਜ ਰਾਜੇ ॥ ਨਮੋ ਸਾਜ ਸਾਜੇ ॥

नमो राज राजे ॥ नमो साज साजे ॥

Salutation to Thee O Supreme Sovereign Lord! Salutation to Thee O Best Musical Equipment Lord!

ਨਮੋ ਸਾਹ ਸਾਹੇ॥ ਨਮੋ ਮਾਹ ਮਾਹੇ ॥੬੭॥

नमो साह साहे॥ नमो माह माहे ॥६७॥

Salutation to Thee O Supreme Emporer Lord! Salutation to Thee O Supreme Moon Lord! 67.

ਨਮੋ ਗੀਤ ਗੀਤੇ ॥ ਨਮੋ ਪ੍ਰੀਤਿ ਪ੍ਰੀਤੇ ॥

नमो गीत गीते ॥ नमो प्रीति प्रीते ॥

Salutation to Thee O Song Lord! Salutation to Thee O Love Lord!

ਨਮੋ ਰੋਖ ਰੋਖੇ ॥ ਨਮੋ ਸੋਖ ਸੋਖੇ ॥੬੮॥

नमो रोख रोखे ॥ नमो सोख सोखे ॥६८॥

Salutation to Thee O Zeal Lord! Salutation to Thee O Brightest Lord! 68.

ਮੋ ਸਰਬ ਰੋਗੇ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਭੋਗੇ ॥

नमो सरब रोगे ॥ नमो सरब भोगे ॥

Salutation to Thee O Universal Ailment Lord ! Salutation to Thee O Universal Enjoyer Lord !

ਨਮੋ ਸਰਬ ਜੀਤੰ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਭੀਤੰ ॥੬੯॥

नमो सरब जीतं ॥ नमो सरब भीतं ॥६९॥

Salutation to Thee O Universal Ailment Lord! Salutation to Thee O Universal Fear Lord! 69.

ਨਮੋ ਸਰਬ ਗਿਆਨੰ ॥ ਨਮੋ ਪਰਮ ਤਾਨੰ ॥

नमो सरब गिआनं ॥ नमो परम तानं ॥

Salutation to Thee O Omniscient Lord! Salutation to Thee O Omnipotent Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਮੰਤ੍ਰੰ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਜੰਤ੍ਰੰ ॥੭੦॥

नमो सरब मंत्रं ॥ नमो सरब जंत्रं ॥७०॥

Salutation to Thee O Entire-Mantras-Knower Lord! Salutation to Thee O Entire-Yantras Knower Lord! 70.

ਨਮੋ ਸਰਬ ਦ੍ਰਿੱਸੰ ॥ ਨਮੋ ਸਰਬ ਕ੍ਰਿੱਸੰ ॥

नमो सरब द्रि्सं ॥ नमो सरब क्रि्सं ॥

Salutation to Thee O All-Beholder Lord! Salutation to Thee O Universal attraction Lord!

ਨਮੋ ਸਰਬ ਰੰਗੇ ॥ ਤ੍ਰਿਭੰਗੀ ਅਨੰਗੇ ॥੭੧॥

नमो सरब रंगे ॥ त्रिभंगी अनंगे ॥७१॥

Salutation to Thee O All-Colour Lord! Salutation to Thee O Three-World-Destroyer Lord! 71.

ਨਮੋ ਜੀਵ ਜੀਵੰ ਨਮੋ ਬੀਜ ਬੀਜੇ ॥

नमो जीव जीवं नमो बीज बीजे ॥

Salutation to Thee O Universal-Life Lord! Salutation to Thee O Primal-Seed Lord!

ਅਖਿੱਜੇ ਅਭਿੱਜੇ ॥ ਸਮਸਤੰ ਪ੍ਰਸਿੱਜੇ ॥੭੨॥

अखि्जे अभि्जे ॥ समसतं प्रसि्जे ॥७२॥

Salutation to Thee O Harmless Lord! Salutation to Thee O Non-Appeaser Lord! Salutation to Thee O Universal Boon-Bestwer Lord! 72.

ਕ੍ਰਿਪਾਲੰ ਸਰੂਪੇ ਕੁਕਰਮੰ ਪ੍ਰਣਾਸੀ ॥

क्रिपालं सरूपे कुकरमं प्रणासी ॥

Salutation to Thee O Generosity-Embodiment Lord! Salutation to Thee O Sins-Destroyer Lord!

ਸਦਾ ਸਰਬਦਾ ਰਿਧਿ ਸਿਧੰ ਨਿਵਾਸੀ ॥੭੩॥

सदा सरबदा रिधि सिधं निवासी ॥७३॥

Salutation to Thee O Ever-Universal Riches Denizen Lord! Salutation to Thee O Ever-Universal Powers Denizen Lord! 73.

ਚਰਪਟ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

चरपट छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

CHARPAT STANZA. BY THY GRACE

ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਕਰਮੇ ॥ ਅੰਬ੍ਰਿਤ ਧਰਮੇ ॥

अम्रित करमे ॥ अमब्रित धरमे ॥

Thy actions are Permanent. Thy Laws are Permanent.

ਅਖਿਲ ਜੋਗੇ ॥ ਅਚਲ ਭੋਗੇ ॥੭੪॥

अखिल जोगे ॥ अचल भोगे ॥७४॥

Thou art united with all, Thou art their permanent Enjoyer.74.

ਅਚਲ ਰਾਜੇ ॥ ਅਟਲ ਸਾਜੇ ॥

अचल राजे ॥ अटल साजे ॥

Thy Kingdom is Permanent, Thy Adornment is Permanent.

ਅਖਲ ਧਰਮੰ ॥ ਅਲਖ ਕਰਮੰ ॥੭੫॥

अखल धरमं ॥ अलख करमं ॥७५॥

Thy Laws are Complete, Thy Words are beyond Comprehension.75.

ਸਰਬੰ ਦਾਤਾ ॥ ਸਰਬੰ ਗਿਆਤਾ ॥

सरबं दाता ॥ सरबं गिआता ॥

Thou art the universal Donor, Thou art Omniscient.

ਸਰਬੰ ਭਾਨੇ ॥ ਸਰਬੰ ਮਾਨੇ ॥੭੬॥

सरबं भाने ॥ सरबं माने ॥७६॥

Thou art the Enlightener of all, Thou art the Enjoyer of all.76.

ਸਰਬੰ ਪ੍ਰਾਣੰ ॥ ਸਰਬੰ ਤ੍ਰਾਣੰ ॥

सरबं प्राणं ॥ सरबं त्राणं ॥

Thou art the Life of all, Thou art the Strength of all.

ਸਰਬੰ ਭੁਗਤਾ ॥ ਸਰਬੰ ਜੁਗਤਾ ॥੭੭॥

सरबं भुगता ॥ सरबं जुगता ॥७७॥

Thou art the Enjoyer of all, Thou art United with all.77.

ਸਰਬੰ ਦੇਵੰ ॥ ਸਰਬੰ ਭੇਵੰ ॥

सरबं देवं ॥ सरबं भेवं ॥

Thou art worshipped by all, Thou art a mystery for all.

ਸਰਬੰ ਕਾਲੇ ॥ ਸਰਬੰ ਪਾਲੇ ॥੭੮॥

सरबं काले ॥ सरबं पाले ॥७८॥

Thou art the Destroyer of all, Thou art the Sustainer of all.78.

ਰੂਆਲ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

रूआल छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

ROOALL STANZA. BY THY GRACE

ਆਦਿ ਰੂਪ ਅਨਾਦਿ ਮੂਰਤਿ ਅਜੋਨਿ ਪੁਰਖ ਅਪਾਰ ॥

आदि रूप अनादि मूरति अजोनि पुरख अपार ॥

Thou art the Supreme Purush, an Eternal Entity in the beginning and free from birth.

ਸਰਬ ਮਾਨ ਤ੍ਰਿਮਾਨ ਦੇਵ ਅਭੇਵ ਆਦਿ ਉਦਾਰ ॥

सरब मान त्रिमान देव अभेव आदि उदार ॥

Worshipped by all and venerated by three gods, Thou art without difference and art Generous from the very beginning.

ਸਰਬ ਪਾਲਕ ਸਰਬ ਘਾਲਕ ਸਰਬ ਕੋ ਪੁਨਿ ਕਾਲ ॥

सरब पालक सरब घालक सरब को पुनि काल ॥

Thou art the Creator Sustainer, Inspirer and Destroyer of all.

ਜੱਤ੍ਰ ਤੱਤ੍ਰ ਬਿਰਾਜਹੀ ਅਵਧੂਤ ਰੂਪ ਰਿਸਾਲ ॥੭੯॥

ज्त्र त्त्र बिराजही अवधूत रूप रिसाल ॥७९॥

Thou art present everywhere like an ascetic with a Generous disposition.79.

ਨਾਮ ਠਾਮ ਨ ਜਾਤਿ ਜਾਕਰ ਰੂਪ ਰੰਗ ਨ ਰੇਖ ॥

नाम ठाम न जाति जाकर रूप रंग न रेख ॥

Thou art Nameless, Placeless, Casteless, Formless, Colourless and Lineless.

ਆਦਿ ਪੁਰਖ ਉਦਾਰ ਮੂਰਤਿ ਅਜੋਨਿ ਆਦਿ ਅਸੇਖ ॥

आदि पुरख उदार मूरति अजोनि आदि असेख ॥

Thou, the Primal Purusha, art Unborn, Generous Entity and Perfect from the very beginning.

ਦੇਸ ਅਉਰ ਨ ਭੇਸ ਜਾਕਰ ਰੂਪ ਰੇਖ ਨ ਰਾਗ ॥

देस अउर न भेस जाकर रूप रेख न राग ॥

Thou art Countryless, Garbless, Formless, Lineless and Non-attached.

ਜਤ੍ਰ ਤਤ੍ਰ ਦਿਸਾ ਵਿਸਾ ਹੁਇ ਫੈਲਿਓ ਅਨੁਰਾਗ ॥੮੦॥

जत्र तत्र दिसा विसा हुइ फैलिओ अनुराग ॥८०॥

Thou art present in all direction and conners and Pervadest the Universe as Love.80.

ਨਾਮ ਕਾਮ ਬਿਹੀਨ ਪੇਖਤ ਧਾਮ ਹੂੰ ਨਹਿ ਜਾਹਿ ॥

नाम काम बिहीन पेखत धाम हूं नहि जाहि ॥

Thou appearest without name and desire, thou hast no particular Abode.

ਸਰਬ ਮਾਨ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਮਾਨ ਸਦੈਵ ਮਾਨਤ ਤਾਹਿ ॥

सरब मान सरब्त्र मान सदैव मानत ताहि ॥

Thou, being worshipped by all, art the Enjoyer of all.

ਏਕ ਮੂਰਤਿ ਅਨੇਕ ਦਰਸਨ ਕੀਨ ਰੂਪ ਅਨੇਕ ॥

एक मूरति अनेक दरसन कीन रूप अनेक ॥

Thou, the One Entity, appearest as Many creating innumerable forms.

ਖੇਲ ਖੇਲਿ ਅਖੇਲ ਖੇਲਨ ਅੰਤ ਕੋ ਫਿਰਿ ਏਕ ॥੮੧॥

खेल खेलि अखेल खेलन अंत को फिरि एक ॥८१॥

After playing the world-drama, when Thou wilt stop the play, Thou wilt be the same One again.81.

ਦੇਵ ਭੇਵ ਨ ਜਾਨਹੀ ਜਿਹ ਬੇਦ ਅਉਰ ਕਤੇਬ ॥

देव भेव न जानही जिह बेद अउर कतेब ॥

The gods and the Scriptures of Hindus and Muslims do not know Thy secret.

ਰੂਪ ਰੰਗ ਨ ਜਾਤਿ ਪਾਤਿ ਸੁ ਜਾਨਈ ਕਿਹ ਜੇਬ ॥

रूप रंग न जाति पाति सु जानई किह जेब ॥

How to know Thee when thou art Formless, Colourless, Casteless and without lineage?

ਤਾਤ ਮਾਤ ਨ ਜਾਤ ਜਾਕਰ ਜਨਮ ਮਰਨ ਬਿਹੀਨ ॥

तात मात न जात जाकर जनम मरन बिहीन ॥

Thou art without father and mother and art casteless, Thou art without births and deaths.

ਚੱਕ੍ਰ ਬੱਕ੍ਰ ਫਿਰੈ ਚਤੁਰ ਚਕਿ ਮਾਨ ਹੀ ਪੁਰ ਤੀਨ ॥੮੨॥

च्क्र ब्क्र फिरै चतुर चकि मान ही पुर तीन ॥८२॥

Thou movest fast like the disc in all the four directions and art worshipped by the three worlds. 82.

ਲੋਕ ਚਉਦਹ ਕੇ ਬਿਖੈ ਜਗ ਜਾਪ ਹੀ ਜਿਹ ਜਾਪੁ ॥

लोक चउदह के बिखै जग जाप ही जिह जापु ॥

The Name is recited in the fourteen divisions of the universe.

ਆਦਿ ਦੇਵ ਅਨਾਦਿ ਮੂਰਤਿ ਥਾਪਿਓ ਸਬੈ ਜਿਹ ਥਾਪੁ ॥

आदि देव अनादि मूरति थापिओ सबै जिह थापु ॥

Thou, the Primal God, art Eternal Entity and hast created the entire universe.

ਪਰਮ ਰੂਪ ਪੁਨੀਤ ਮੂਰਤਿ ਪੂਰਨ ਪੁਰਖ ਅਪਾਰ ॥

परम रूप पुनीत मूरति पूरन पुरख अपार ॥

Thou, the holiest Entity, art of Supreme Form, Thou art Bondless, Perfect Purusha.

ਸਰਬ ਬਿਸ੍ਵ ਰਚਿਓ ਸੁਯੰਭਵ ਗੜਨ ਭੰਜਨਹਾਰ ॥੮੩॥

सरब बिस्व रचिओ सुय्मभव गड़न भंजनहार ॥८३॥

Thou, the Self-Existent, Creator and Destroyer, hast crated the whole universe.83.

ਕਾਲ ਹੀਨ ਕਲਾ ਸੰਜੁਗਤਿ ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ ਅਦੇਸ ॥

काल हीन कला संजुगति अकाल पुरख अदेस ॥

Thou art Dearthless, Almighty, Timeless Purasha and Countryless.

ਧਰਮ ਧਾਮ ਸੁ ਭਰਮ ਰਹਤ ਅਭੂਤ ਅਲਖ ਅਭੇਸ ॥

धरम धाम सु भरम रहत अभूत अलख अभेस ॥

Thou art the Abode of righteousness; Thou art Illusionless, Garbless, Incomprehensible and devoid of five elements.

ਅੰਗ ਰਾਗ ਨ ਰੰਗ ਜਾ ਕਹਿ ਜਾਤਿ ਪਾਤਿ ਨ ਨਾਮ ॥

अंग राग न रंग जा कहि जाति पाति न नाम ॥

Thou art without body, without attachment, without colour, caste, lineage and name.

ਗਰਬ ਗੰਜਨ ਦੁਸਟ ਭੰਜਨ ਮੁਕਤਿ ਦਾਇਕ ਕਾਮ ॥੮੪॥

गरब गंजन दुसट भंजन मुकति दाइक काम ॥८४॥

Thou art the Destroyer of ego, the vanquisher of tyrants and performer of works leading to salvation.84.

ਆਪ ਰੂਪ ਅਮੀਕ ਅਨਉਸਤਤਿ ਏਕ ਪੁਰਖ ਅਵਧੂਤ ॥

आप रूप अमीक अनउसतति एक पुरख अवधूत ॥

Thou art the Deepest and Indescribable Entity, the One unique ascetic Purusha.

ਗਰਬ ਗੰਜਨ ਸਰਬ ਭੰਜਨ ਆਦਿ ਰੂਪ ਅਸੂਤ ॥

गरब गंजन सरब भंजन आदि रूप असूत ॥

Thou, the Unborn Primal Entity, art the Destroyer of all egocentric people.

ਅੰਹ ਹੀਨ ਅਭੰਗ ਅਨਾਤਮ ਏਕ ਪੁਰਖ ਅਪਾਰ ॥

अंह हीन अभंग अनातम एक पुरख अपार ॥

Thou, the Boundless Purusha, art Limbless, Indestructible and without self.

ਸਰਬ ਲਾਇਕ ਸਰਬ ਘਾਇਕ ਸਰਬ ਕੋ ਪ੍ਰਤਿਪਾਰ ॥੮੫॥

सरब लाइक सरब घाइक सरब को प्रतिपार ॥८५॥

Thou art capable of doing everything, Thou Destroyest all and Sustainest all.85.

ਸਰਬ ਗੰਤਾ ਸਰਬ ਹੰਤਾ ਸਰਬ ਤੇ ਅਨਭੇਖ ॥

सरब गंता सरब हंता सरब ते अनभेख ॥

Thou knowest all, Destroyest all and art beyond all the guises.

ਸਰਬ ਸਾਸਤ੍ਰ ਨ ਜਾਨਹੀ ਜਿਹ ਰੂਪ ਰੰਗੁ ਅਰੁ ਰੇਖ ॥

सरब सासत्र न जानही जिह रूप रंगु अरु रेख ॥

Thy form, colour and marks are not known to all the Scriptures.

ਪਰਮ ਬੇਦ ਪੁਰਾਣ ਜਾਕਹਿ ਨੇਤਿ ਭਾਖਤ ਨਿਤ ॥

परम बेद पुराण जाकहि नेति भाखत नित ॥

The Vedas and the Puransa always declare Thee the Supreme and the Greatest.

ਕੋਟਿ ਸਿੰਮ੍ਰਿਤ ਪੁਰਾਨ ਸਾਸਤ੍ਰ ਨ ਆਵਈ ਵਹੁ ਚਿੱਤ ॥੮੬॥

कोटि सिम्रित पुरान सासत्र न आवई वहु चि्त ॥८६॥

None can comprehend thee completely through millions of Smritis, Puranas and Shastras.86.

ਮਧੁਭਾਰ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

मधुभार छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

MADHUBHAR STANZA. BY THY GRACE

ਗੁਨ ਗਨ ਉਦਾਰ ॥ ਮਹਿਮਾ ਅਪਾਰ ॥

गुन गन उदार ॥ महिमा अपार ॥

The Virtues like Generosity and Thy Praises are Unbouded.

ਆਸਨ ਅਭੰਗ ॥ ਉਪਮਾ ਅਨੰਗ ॥੮੭॥

आसन अभंग ॥ उपमा अनंग ॥८७॥

Thy seat is Eternal, Thy Eminence is Perfect.87.

ਅਨਭਉ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥ ਨਿਸ ਦਿਨ ਅਨਾਸ ॥

अनभउ प्रकास ॥ निस दिन अनास ॥

Thou art Self-luminous and remianest the same during day and night.

ਆਜਾਨੁ ਬਾਹੁ ॥ ਸਾਹਾਨੁ ਸਾਹੁ ॥੮੮॥

आजानु बाहु ॥ साहानु साहु ॥८८॥

They arms stretch upto Thy knees and Thou art king of kings.88.

ਰਾਜਾਨ ਰਾਜ ॥ ਭਾਨਾਨ ਭਾਨ ॥

राजान राज ॥ भानान भान ॥

Thou art king of kings, sun of suns.

ਦੇਵਾਨ ਦੇਵ ॥ ਉਪਮਾ ਮਹਾਨ ॥੮੯॥

देवान देव ॥ उपमा महान ॥८९॥

Thou art God of gods and of greatest Eminence.89.

ਇੰਦ੍ਰਾਨ ਇੰਦ੍ਰ ॥ ਬਾਲਾਨ ਬਾਲ ॥

इंद्रान इंद्र ॥ बालान बाल ॥

Thou art Indra of Indras, Smallest of the Small.

ਰੰਕਾਨ ਰੰਕ ॥ ਕਾਲਾਨ ਕਾਲ ॥੯੦॥

रंकान रंक ॥ कालान काल ॥९०॥

Thou art Poorest of the Poor and Death of Deaths.90.

ਅਨਭੂਤ ਅੰਗ॥ ਆਭਾ ਅਭੰਗ ॥

अनभूत अंग॥ आभा अभंग ॥

Thy Limbs are not of five elements, Thy glow is Eternal.

ਗਤਿ ਮਿਤਿ ਅਪਾਰ ॥ ਗੁਨ ਗਨ ਉਦਾਰ ॥੯੧॥

गति मिति अपार ॥ गुन गन उदार ॥९१॥

Thou art Immeasurable and Thy Virtues like Generosity are countless.91

ਮੁਨਿ ਗਨ ਪ੍ਰਨਾਮ ॥ ਨਿਰਭੈ ਨਿਕਾਮ ॥

मुनि गन प्रनाम ॥ निरभै निकाम ॥

Thou art Fearless and Desireless and all the Sages bow before Thee.

ਅਤਿ ਦੁਤਿ ਪ੍ਰਚੰਡ ॥ ਮਿਤ ਗਤਿ ਅਖੰਡ ॥੯੨॥

अति दुति प्रचंड ॥ मित गति अखंड ॥९२॥

Thou, of the brightest effulgence, art perfect in Thy Doings.92.

ਆਲਿਸ੍ਯ ਕਰਮ ॥ ਆਦ੍ਰਿਸ੍ਯ ਧਰਮ ॥

आलिस्य करम ॥ आद्रिस्य धरम ॥

Thy works are spontaneous and Thy laws are ideal.

ਸਰਬਾ ਭਰਣਾਢਯ ॥ ਅਨਡੰਡ ਬਾਢਯ ॥੯੩॥

सरबा भरणाढय ॥ अनडंड बाढय ॥९३॥

Thou Thyself art wholly ornamented and none can chastise Thee.93.

ਚਾਚਰੀ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

चाचरी छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

CHACHARI STANZA BY THY GRACE

ਗੁਬਿੰਦੇ ॥ ਮੁਕੰਦੇ ॥ ਉਦਾਰੇ ॥ ਅਪਾਰੇ ॥੯੪॥

गुबिंदे ॥ मुकंदे ॥ उदारे ॥ अपारे ॥९४॥

O the Preserver Lord! O Salvation-Giver Lord! O Most Genereous Lord! O Boundless Lord! 94.

ਹਰੀਅੰ ॥ ਕਰੀਅੰ ॥ ਨ੍ਰਿਨਾਮੇ ॥ ਅਕਾਮੇ ॥੯੫॥

हरीअं ॥ करीअं ॥ न्रिनामे ॥ अकामे ॥९५॥

O Destroyer Lord! O the Creator Lord! O the Nameless Lord! O the Desireless Lord! 95.

ਭੁਜੰਗ ਪ੍ਰਯਾਤ ਛੰਦ ॥

भुजंग प्रयात छंद ॥

BHUJANG PRYAAT STANZA

ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਕਰਤਾ ॥ ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਹਰਤਾ ॥

च्त्र च्क्र करता ॥ च्त्र च्क्र हरता ॥

O the Creator Lord of all the four directions. O the Destroyer Lord of the four directions.

ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਦਾਨੇ ॥ ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਜਾਨੇ ॥੯੬॥

च्त्र च्क्र दाने ॥ च्त्र च्क्र जाने ॥९६॥

O the Donor Lord of all the four directions. O the Known Lord of all the four directions.96.

ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਵਰਤੀ ॥ ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਭਰਤੀ ॥

च्त्र च्क्र वरती ॥ च्त्र च्क्र भरती ॥

O the Pervading Lord of the four directions. O the Permeator Lord of all the four direction.

ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਪਾਲੇ ॥ ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਕਾਲੇ ॥੯੭

च्त्र च्क्र पाले ॥ च्त्र च्क्र काले ॥९७

O the Sustainer Lord of all the four directions. O the Destroyer Lord of all the four directions.97.

ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਪਾਸੇ ॥ ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਵਾਸੇ ॥

च्त्र च्क्र पासे ॥ च्त्र च्क्र वासे ॥

O the Lord Present in all the four direction. O the Dweller Lord in all the four directions.

ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਮਾਨਯੈ ॥ ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਦਾਨਯੈ ॥੯੮॥

च्त्र च्क्र मानयै ॥ च्त्र च्क्र दानयै ॥९८॥

O the Lord Worshipped in all the four directions. O the Donor Lord of all the four directions.98.

ਚਾਚਰੀ ਛੰਦ ॥

चाचरी छंद ॥

CHACHARI STANZA

ਨ ਸੱਤ੍ਰੈ ॥ ਨ ਮਿੱਤ੍ਰੈ ॥ ਨ ਭਰਮੰ ॥ ਨ ਭਿੱਤ੍ਰੈ ॥੯੯॥

न स्त्रै ॥ न मि्त्रै ॥ न भरमं ॥ न भि्त्रै ॥९९॥

Thou art the Foeless Lord, Thou art the Friendless Lord, Thou art the Illusionless Lord, Thou art the Fearless Lord.99.

ਨ ਕਰਮੰ ॥ ਨ ਕਾਏ ॥ ਅਜਨਮੰ ॥ ਅਜਾਏ ॥੧੦੦॥

न करमं ॥ न काए ॥ अजनमं ॥ अजाए ॥१००॥

Thou art the Actionless Lord, Thou art the Bodyless Lord, Thu art the Birthless Lord, Thou art the Aboleless Lord.100.

ਨ ਚਿੱਤ੍ਰੈ ॥ ਨ ਮਿੱਤ੍ਰੈ ॥ ਪਰੇ ਹੈਂ ॥ ਪਵਿੱਤ੍ਰੈ ॥੧੦੧॥

न चि्त्रै ॥ न मि्त्रै ॥ परे हैं ॥ पवि्त्रै ॥१०१॥

Thou art the Portrait-less Lord, Thou art the Friendliness Lord, Thou art the Attachment-free Lord, Thou art the Most Pure Lord.101.

ਪ੍ਰਿਥੀਸੈ ॥ ਅਦੀਸੈ ॥ ਅਦ੍ਰਿਸੈ ॥ ਅਕ੍ਰਿਸੈ ॥੧੦੨॥

प्रिथीसै ॥ अदीसै ॥ अद्रिसै ॥ अक्रिसै ॥१०२॥

Thou art the World-Master Lord, Thou art the Primal Lord, Thou art the Primal Lord, Thou art the Invincible Lord, Thou art the Almighty Lord.102.

ਭਗਵਤੀ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ਕਥਤੇ ॥

भगवती छंद ॥ त्वप्रसादि कथते ॥

BHAGVATI STANZA. UTTERED WITH THY GRACE

ਕਿ ਆਛਿੱਜ ਦੇਸੈ ॥ ਕਿ ਆਭਿੱਜ ਭੇਸੈ ॥

कि आछि्ज देसै ॥ कि आभि्ज भेसै ॥

That thy Abode is unconquerable. That Thy Garb is unimpaired.

ਕਿ ਆਗੰਜ ਕਰਮੈ ॥ ਕਿ ਆਭੰਜ ਭਰਮੈ ॥੧੦੩॥

कि आगंज करमै ॥ कि आभंज भरमै ॥१०३॥

That Thou art beyond impact of Karmas. That Thou art free from doubts.103.

ਕਿ ਆਭਿਜ ਲੋਕੈ ॥ ਕਿ ਆਦਿਤ ਸੋਕੈ ॥

कि आभिज लोकै ॥ कि आदित सोकै ॥

That Thy abode is unimpaired. That thy canst dry up the sun.

ਕਿ ਅਵਧੂਤ ਬਰਨੈ ॥ ਕਿ ਬਿਭੂਤ ਕਰਨੈ ॥੧੦੪॥

कि अवधूत बरनै ॥ कि बिभूत करनै ॥१०४॥

That Thy demeanour is saintly. That thou art the Source of wealth.104.

ਕਿ ਰਾਜੰ ਪ੍ਰਭਾ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਧਰਮੰ ਧੁਜਾ ਹੈਂ ॥

कि राजं प्रभा हैं ॥ कि धरमं धुजा हैं ॥

That Thou art the glory of kingdom. That Thou art eh ensign of righteousness.

ਕਿ ਆਸੋਕ ਬਰਨੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬਾ ਅਭਰਨੈ ॥੧੦੫॥

कि आसोक बरनै ॥ कि सरबा अभरनै ॥१०५॥

That Thou hast no worries. That Thou art the ornamentation of all.105.

ਕਿ ਜਗਤੰ ਕ੍ਰਿਤੀ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਛਤ੍ਰੰ ਛਤ੍ਰੀ ਹੈਂ ॥

कि जगतं क्रिती हैं ॥ कि छत्रं छत्री हैं ॥

That Thou art the Creator of the universe. That Thou art the Bravest of the Brave.

ਕਿ ਬ੍ਰਹਮੰ ਸਰੂਪੈ ॥ ਕਿ ਅਨਭਉ ਅਨੂਪੈ ॥੧੦੬

कि ब्रहमं सरूपै ॥ कि अनभउ अनूपै ॥१०६

That Thou art All-Pervading Entity. That Thou art the Source of Divine Knowledge.106.

ਕਿ ਆਦਿ ਅਦੇਵ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਆਪਿ ਅਭੇਵ ਹੈਂ ॥

कि आदि अदेव हैं ॥ कि आपि अभेव हैं ॥

That Thou art the Primal Entity without a Master. That Thou art self-illumined.

ਕਿ ਚਿੱਤ੍ਰੰ ਬਿਹੀਨੈ ॥ ਕਿ ਏਕੈ ਅਧੀਨੈ ॥੧੦੭॥

कि चि्त्रं बिहीनै ॥ कि एकै अधीनै ॥१०७॥

That Thou art without any portrait. That Thou art Master of Thyself.107.

ਕਿ ਰੋਜੀ ਰਜਾਕੈ ॥ ਰਹੀਮੈ ਰਿਹਾਕੈ ॥

कि रोजी रजाकै ॥ रहीमै रिहाकै ॥

That Thou art the Sustainer and Generous. That Thou art the Re-deemer and Pure.

ਕਿ ਪਾਕ ਬਿਐਬ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਗੈਬੁਲ ਗ਼ੈਬ ਹੈਂ ॥੧੦੮॥

कि पाक बिऐब हैं ॥ कि गैबुल ग़ैब हैं ॥१०८॥

That Thou art Flawless. That Thou art most Mysterious.108.

ਕਿ ਅਫਵੁਲ ਗੁਨਾਹ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਸ਼ਾਹਾਨ ਸ਼ਾਹ ਹੈਂ ॥

कि अफवुल गुनाह हैं ॥ कि शाहान शाह हैं ॥

That Thou forgivest sins. That Thou art the Emperor of Emperors.

ਕਿ ਕਾਰਨ ਕੁਨਿੰਦ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਰੋਜ਼ੀ ਦਿਹਿੰਦ ਹੈਂ ॥੧੦੯॥

कि कारन कुनिंद हैं ॥ कि रोज़ी दिहिंद हैं ॥१०९॥

That Thou art Doer of everything. That Thou art the Giver of the means of sustenance.109.

ਕਿ ਰਾਜ਼ਕ ਰਹੀਮ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਕਰਮੰ ਕਰੀਮ ਹੈਂ ॥

कि राज़क रहीम हैं ॥ कि करमं करीम हैं ॥

That Thou art the Generous Sustainer. That Thou art the Most Compassionate.

ਕਿ ਸਰਬੰ ਕਲੀ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਸਰਬੰ ਦਲੀ ਹੈਂ ॥੧੧੦॥

कि सरबं कली हैं ॥ कि सरबं दली हैं ॥११०॥

That Thou art Omnipotent. That Thou art the Destroyer of all.110.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਮਾਨਿਯੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਦਾਨਿਯੈ ॥

कि सरब्त्र मानियै ॥ कि सरब्त्र दानियै ॥

That Thou art worshipped by all. That Thou art the Donor of all.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਗਉਨੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਭਉਨੈ ॥੧੧੧॥

कि सरब्त्र गउनै ॥ कि सरब्त्र भउनै ॥१११॥

That Thou goest everywhere. That Thou residest every-where.111.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਦੇਸੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਭੇਸੈ ॥

कि सरब्त्र देसै ॥ कि सरब्त्र भेसै ॥

That Thou art in every country. That Thou art in every garb.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਰਾਜੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਸਾਜੈ ॥੧੧੨॥

कि सरब्त्र राजै ॥ कि सरब्त्र साजै ॥११२॥

That Thou art the King of all. That Thou art the Creator of all.112.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਦੀਨੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਲੀਨੈ ॥

कि सरब्त्र दीनै ॥ कि सरब्त्र लीनै ॥

That Thou be longest to all religious. That Thou art within everyone.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਜਾਹੋ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਭਾਹੋ ॥੧੧੩॥

कि सरब्त्र जाहो ॥ कि सरब्त्र भाहो ॥११३॥

That Thou livest everywhere. That Thou art the Glory of all. 113.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਦੇਸੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਭੇਸੈ ॥

कि सरब्त्र देसै ॥ कि सरब्त्र भेसै ॥

That Thou art in all the countries. That Thou art in all the garbs.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਕਾਲੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਪਾਲੈ ॥੧੧੪॥

कि सरब्त्र कालै ॥ कि सरब्त्र पालै ॥११४॥

That Thou art the Destroyer of all. That Thou art the Sustainer of all. 114.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਹੰਤਾ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਗੰਤਾ ॥

कि सरब्त्र हंता ॥ कि सरब्त्र गंता ॥

That Thou destroyest all. That Thou goest to all the places.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਭੇਖੀ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਪੇਖੀ ॥੧੧੫॥

कि सरब्त्र भेखी ॥ कि सरब्त्र पेखी ॥११५॥

That Thou wearest all the garbs. That Thou seest all. 115.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਕਾਜੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਰਾਜੈ ॥

कि सरब्त्र काजै ॥ कि सरब्त्र राजै ॥

That Thou art the cause of all. That Thou art the Glory of all.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਸੋਖੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਪੋਖੈ ॥੧੧੬॥

कि सरब्त्र सोखै ॥ कि सरब्त्र पोखै ॥११६॥

That Thou driest up all. That Thou fillest up all. 116.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਤ੍ਰਾਣੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਪ੍ਰਾਣੈ ॥

कि सरब्त्र त्राणै ॥ कि सरब्त्र प्राणै ॥

That Thou art the Strength of all. That Thou art the life of all.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਦੇਸੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਭੇਸੈ ॥੧੧੭॥

कि सरब्त्र देसै ॥ कि सरब्त्र भेसै ॥११७॥

That Thou art in all countries. That Thou art in garbs. 117.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਮਾਨਿਯੈਂ ॥ ਸਦੈਵੰ ਪ੍ਰਧਾਨਿਯੈਂ ॥

कि सरब्त्र मानियैं ॥ सदैवं प्रधानियैं ॥

That Thou art worshipped everywhere. That Thou art the Supreme Controller of all.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਜਾਪਿਯੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਥਾਪਿਯੈ ॥੧੧੮॥

कि सरब्त्र जापियै ॥ कि सरब्त्र थापियै ॥११८॥

That Thou art remembered everywhere. That Thou art established everywhere. 118.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਭਾਨੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਮਾਨੈ ॥

कि सरब्त्र भानै ॥ कि सरब्त्र मानै ॥

That Thou illuminest everything. That Thou art honoured by all.

ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਇੰਦ੍ਰੈ ॥ ਕਿ ਸਰਬੱਤ੍ਰ ਚੰਦ੍ਰੈ ॥੧੧੯॥

कि सरब्त्र इंद्रै ॥ कि सरब्त्र चंद्रै ॥११९॥

That Thou art Indra (King) of all. That Thou art the moon (Light) of all. 119.

ਕਿ ਸਰਬੰ ਕਲੀਮੈ ॥ ਕਿ ਪਰਮੰ ਫ਼ਹੀਮੈ ॥

कि सरबं कलीमै ॥ कि परमं फ़हीमै ॥

That Thou art master off all powers. That Thou art Most Intelligent.

ਕਿ ਆਕਿਲ ਅਲਾਮੈ ॥ ਕਿ ਸਾਹਿਬ ਕਲਾਮੈ ॥੧੨੦॥

कि आकिल अलामै ॥ कि साहिब कलामै ॥१२०॥

That Thou art Most Wise and Learned. That Thou art the Master of Languages. 120.

ਕਿ ਹੁਸਨਲ ਵਜੂ ਹੈਂ ॥ ਤਮਾਮੁਲ ਰੁਜੂ ਹੈਂ ॥

कि हुसनल वजू हैं ॥ तमामुल रुजू हैं ॥

That Thou art the Embodiment of Beauty. That all look towards Thee.

ਹਮੇਸੁਲ ਸਲਾਮੈ ॥ ਸਲੀਖਤ ਮੁਦਾਮੈਂ ॥੧੨੧॥

हमेसुल सलामै ॥ सलीखत मुदामैं ॥१२१॥

That Thou abidest forever. That Thou hast perpetual offspring. 121.

ਗ਼ਨੀਮੁਲ ਸ਼ਿਕਸਤੈ ॥ ਗਰੀਬੁਲ ਪਰਸਤੈ ॥

ग़नीमुल शिकसतै ॥ गरीबुल परसतै ॥

That Thou art the conquereror of mighty enemies. That Thou art the Protector of the lowly.

ਬਿਲੰਦੁਲ ਮਕਾਨੈ ॥ ਜ਼ਮੀਨੁਲ ਜ਼ਮਾਨੈ ॥੧੨੨॥

बिलंदुल मकानै ॥ ज़मीनुल ज़मानै ॥१२२॥

That Thy Abode is the Highest. That Thou Pervadest on Earth and in Heavens. 122.

ਤਮੀਜ਼ੁਲ ਤਮਾਮੈਂ ॥ ਰੁਜੂਅਲ ਨਿਧਾਨੈਂ ॥

तमीज़ुल तमामैं ॥ रुजूअल निधानैं ॥

That Thou discriminatest all. That Thou art most Considerate.

ਹਰੀਫ਼ੁਲ ਅਜੀਮੈਂ ॥ ਰਜ਼ਾਇਕ ਯਕੀਨੈ ॥੧੨੩॥

हरीफ़ुल अजीमैं ॥ रज़ाइक यकीनै ॥१२३॥

That Thou art the Greatest Friend. That Thou art certainlyhe Giver of food.123.

ਅਨੇਕੁਲ ਤਰੰਗ ਹੈਂ ॥ ਅਭੇਦ ਹੈਂ ਅਭੰਗ ਹੈਂ ॥

अनेकुल तरंग हैं ॥ अभेद हैं अभंग हैं ॥

That Thou, as Ocean, Hast innumerable waves. That Thou art Immortal and none can know Thy secrets.

ਅਜ਼ੀਜ਼ੁਲ ਨਿਵਾਜ਼ ਹੈਂ ॥ ਗ਼ਨੀਮੁਲ ਖਿਰਾਜ ਹੈਂ ॥੧੨੪॥

अज़ीज़ुल निवाज़ हैं ॥ ग़नीमुल खिराज हैं ॥१२४॥

That Thou Protectest the devotees. That Thou punishest the evil-doers.124.

ਨਿਰੁਕਤ ਸਰੂਪ ਹੈਂ ॥ ਤ੍ਰਿਮੁਕਤਿ ਬਿਭੂਤ ਹੈਂ ॥

निरुकत सरूप हैं ॥ त्रिमुकति बिभूत हैं ॥

That Thy Entity is Indexpressible. That Thy Glory is Beyond the three Modes.

ਪ੍ਰਭੁਗਤਿ ਪ੍ਰਭਾ ਹੈਂ ॥ ਸੁਜੁਗਤਿ ਸੁਧਾ ਹੈਂ ॥੧੨੫॥

प्रभुगति प्रभा हैं ॥ सुजुगति सुधा हैं ॥१२५॥

That Thine is the Most Powerful Glow. That Thou art ever united with all.125.

ਸਦੈਵੰ ਸਰੂਪ ਹੈਂ ॥ ਅਭੇਦੀ ਅਨੂਪ ਹੈਂ ॥

सदैवं सरूप हैं ॥ अभेदी अनूप हैं ॥

That Thou art Eternal Entity. That Thou art undivided and unparalleled.

ਸਮਸਤੋ ਪਰਾਜ ਹੈਂ ॥ ਸਦਾ ਸਰਬ ਸਾਜ ਹੈਂ ॥੧੨੬॥

समसतो पराज हैं ॥ सदा सरब साज हैं ॥१२६॥

That Thou art the Creator of all. That Thou art ever the Ornamentation of all. 126.

ਸਮਸਤੁਲ ਸਲਾਮ ਹੈਂ ॥ ਸਦੈਵਲ ਅਕਾਮ ਹੈਂ ॥

समसतुल सलाम हैं ॥ सदैवल अकाम हैं ॥

That Thou art saluted by all. That Thou art ever the Desireless Lord.

ਨ੍ਰਿਬਾਧ ਸਰੂਪ ਹੈਂ ॥ ਅਗਾਧ ਹੈਂ ਅਨੂਪ ਹੈਂ ॥੧੨੭॥

न्रिबाध सरूप हैं ॥ अगाध हैं अनूप हैं ॥१२७॥

That Thou art Invincible. That Thou art Impenetrable and Unparalleled Entity.127.

ਓਅੰ ਆਦਿ ਰੂਪੇ ॥ ਅਨਾਦਿ ਸਰੂਪੈ ॥

ओअं आदि रूपे ॥ अनादि सरूपै ॥

That Thou art Aum the primal Entity. That Thou art also without beginning.

ਅਨੰਗੀ ਅਨਾਮੇ ॥ ਤ੍ਰਿਭੰਗੀ ਤ੍ਰਿਕਾਮੇ ॥੧੨੮॥

अनंगी अनामे ॥ त्रिभंगी त्रिकामे ॥१२८॥

That Thu art Bodyless and Nameless. That Thou art the Destroyer and Restorer of three modes. 128.

ਤ੍ਰਿਬਰਗੰ ਤ੍ਰਿਬਾਧੇ ॥ ਅਗੰਜੇ ਅਗਾਧੇ ॥

त्रिबरगं त्रिबाधे ॥ अगंजे अगाधे ॥

That Thou art the Destroyer of three gods and modes. That Thou art Immortal and Impenetrable.

ਸੁਭੰ ਸਰਬ ਭਾਗੇ ॥ ਸੁ ਸਰਬਾ ਅਨੁਰਾਗੇ ॥੧੨੯॥

सुभं सरब भागे ॥ सु सरबा अनुरागे ॥१२९॥

That Thy Writ of Destiny is for all. That Thou lovest all. 129.

ਤ੍ਰਿਭੁਗਤ ਸਰੂਪ ਹੈਂ ॥ ਅਛਿੱਜ ਹੈਂ ਅਛੂਤ ਹੈਂ ॥

त्रिभुगत सरूप हैं ॥ अछि्ज हैं अछूत हैं ॥

That Thou art the Enjoyer Entity of three worlds. That Thou art Unbreakable and untouched.

ਕਿ ਨਰਕੰ ਪ੍ਰਣਾਸ ਹੈਂ ॥ ਪ੍ਰਿਥੀਉਲ ਪ੍ਰਵਾਸ ਹੈਂ ॥੧੩੦॥

कि नरकं प्रणास हैं ॥ प्रिथीउल प्रवास हैं ॥१३०॥

That Thou art the Destroyer of hell. That Thou Pervadest the Earth. 130.

ਨਿਰੁਕਤਿ ਪ੍ਰਭਾ ਹੈਂ ॥ ਸਦੈਵੰ ਸਦਾ ਹੈਂ ॥

निरुकति प्रभा हैं ॥ सदैवं सदा हैं ॥

That Thy Glory is Inexpressible. That Thou art Eternal.

ਬਿਭੁਗਤਿ ਸਰੂਪ ਹੈ ॥ ਪ੍ਰਜੁਗਤਿ ਅਨੂਪ ਹੈਂ ॥੧੩੧॥

बिभुगति सरूप है ॥ प्रजुगति अनूप हैं ॥१३१॥

That Thou abidest in innumerable diverse guises. That Thou art wonderfully united with all. 131.

ਨਿਰੁਕਤਿ ਸਦਾ ਹੈਂ ॥ ਬਿਭੁਗਤਿ ਪ੍ਰਭਾ ਹੈਂ ॥

निरुकति सदा हैं ॥ बिभुगति प्रभा हैं ॥

That Thou art ever Inexpressible. That Thy Glory appears in diverse guises.

ਅਨਉਕਤਿ ਸਰੂਪ ਹੈਂ ॥ ਪ੍ਰਜੁਗਤਿ ਅਨੂਪ ਹੈਂ ॥੧੩੨॥

अनउकति सरूप हैं ॥ प्रजुगति अनूप हैं ॥१३२॥

That Thy Form is Indescribable. That Thou art wonderfully united with all. 132.

ਚਾਚਰੀ ਛੰਦ ॥

चाचरी छंद ॥

CHACHARI STANZA

ਅਭੰਗ ਹੈਂ ॥ ਅਨੰਗ ਹੈਂ ॥

अभंग हैं ॥ अनंग हैं ॥

Thou art Indestructible, Thou art Limbless.

ਅਭੇਖ ਹੈਂ ॥ ਅਲੇਖ ਹੈਂ ॥੧੩੩॥

अभेख हैं ॥ अलेख हैं ॥१३३॥

Thou art Dessless, Thou art Indescribable. 133.

ਅਭਰਮ ਹੈਂ ॥ ਅਕਰਮ ਹੈਂ ॥

अभरम हैं ॥ अकरम हैं ॥

Thou art Illusionless, Thou art Actionless.

ਅਨਾਦਿ ਹੈਂ ॥ ਜੁਗਾਦਿ ਹੈਂ ॥੧੩੪॥

अनादि हैं ॥ जुगादि हैं ॥१३४॥

Thou art Beginningless, Thou art from the beginning of ages. 134.

ਅਜੈ ਹੈਂ ॥ ਅਬੈ ਹੈਂ ॥

अजै हैं ॥ अबै हैं ॥

Thou art Unconquerable, Thou art Indestuctible.

ਅਭੂਤ ਹੈਂ ॥ ਅਧੂਤ ਹੈਂ ॥੧੩੫॥

अभूत हैं ॥ अधूत हैं ॥१३५॥

Thou art Elementless, Thou art Fearless. 135.

ਅਨਾਸ ਹੈਂ ॥ ਉਦਾਸ ਹੈਂ ॥

अनास हैं ॥ उदास हैं ॥

Thou art Eternal, Thou art Non-attached.

ਅਧੰਧ ਹੈਂ ॥ ਅਬੰਧ ਹੈਂ ॥੧੩੬॥

अधंध हैं ॥ अबंध हैं ॥१३६॥

Thou art Non-involyed, Thou art Unbound. 136.

ਅਭਗਤ ਹੈਂ ॥ ਬਿਰਕਤ ਹੈਂ ॥

अभगत हैं ॥ बिरकत हैं ॥

Thou art Indivisible, Thou art Non-attached.

ਅਨਾਸ ਹੈਂ ॥ ਪ੍ਰਕਾਸ ਹੈਂ ॥੧੩੭॥

अनास हैं ॥ प्रकास हैं ॥१३७॥

Thou art Eternal, Thou art Supreme Light. 137.

ਨਿਚਿੰਤ ਹੈਂ ॥ ਸੁਨਿੰਤ ਹੈਂ ॥

निचिंत हैं ॥ सुनिंत हैं ॥

Thou art Carefree, Thou canst restrain the senses.

ਅਲਿੱਖ ਹੈਂ ॥ ਅਦਿੱਖ ਹੈਂ ॥੧੩੮॥

अलि्ख हैं ॥ अदि्ख हैं ॥१३८॥

Thou canst control the mind, Thou art Invincible. 138.

ਅਲੇਖ ਹੈਂ ॥ ਅਭੇਖ ਹੈਂ ॥

अलेख हैं ॥ अभेख हैं ॥

Thou art Accountless, Thou art Garbless.

ਅਢਾਹ ਹੈਂ ॥ ਅਗਾਹ ਹੈਂ ॥੧੩੯॥

अढाह हैं ॥ अगाह हैं ॥१३९॥

Thou art Coastless, Thou art Bottomless. 139.

ਅਸੰਭ ਹੈਂ ॥ ਅਗੰਭ ਹੈਂ ॥

अस्मभ हैं ॥ अग्मभ हैं ॥

Thou art Unborn, Thou art Bottomless.

ਅਨੀਲ ਹੈਂ ॥ ਅਨਾਦਿ ਹੈਂ ॥੧੪੦॥

अनील हैं ॥ अनादि हैं ॥१४०॥

Thou art Countless, Thou art Beginningless. 140.

ਅਨਿਤ ਹੈਂ ॥ ਸੁਨਿਤ ਹੈਂ ॥

अनित हैं ॥ सुनित हैं ॥

Thou art Causeless, Thou art the Listener.

ਅਜਾਤ ਹੈਂ ॥ ਅਜਾਦਿ ਹੈਂ ॥੧੪੧॥

अजात हैं ॥ अजादि हैं ॥१४१॥

Thou art Unborn, Thou art free. 141.

ਚਰਪਟ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

चरपट छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

CHARPAT STANZA. BY THE GRACE

ਸਰਬੰ ਹੰਤਾ ॥ ਸਰਬ ਗੰਤਾ ॥

सरबं हंता ॥ सरब गंता ॥

Thou art the Destroyer of all. Thou art the Goer to all.

ਸਰਬੰ ਖਿਆਤਾ ॥ ਸਰਬੰ ਗਿਆਤਾ ॥੧੪੨॥

सरबं खिआता ॥ सरबं गिआता ॥१४२॥

Thou art well-known to all. Thou art the knower of all. 142.

ਸਰਬੰ ਹਰਤਾ ॥ ਸਰਬੰ ਕਰਤਾ ॥

सरबं हरता ॥ सरबं करता ॥

Thou Killest all. Thou Createst all.

ਸਰਬੰ ਪ੍ਰਾਣੰ ॥ ਸਰਬੰ ਤ੍ਰਾਣੰ ॥੧੪੩॥

सरबं प्राणं ॥ सरबं त्राणं ॥१४३॥

Thou art the Life of all. Thou art the Strength of all. 143.

ਸਰਬੰ ਕਰਮੰ ॥ ਸਰਬੰ ਧਰਮੰ ॥

सरबं करमं ॥ सरबं धरमं ॥

Thou art in all works. Thou art in all Religions.

ਸਰਬੰ ਜੁਗਤਾ ॥ ਸਰਬੰ ਮੁਕਤਾ ੧੪੪॥

सरबं जुगता ॥ सरबं मुकता १४४॥

Thou art united with all. Thou art free from all. 144.

ਰਸਾਵਲ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

रसावल छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

RASAAVAL STANZA. BY THY GRACE

ਨਮੋ ਨਰਕ ਨਾਸੇ ॥ ਸਦੈਵੰ ਪ੍ਰਕਾਸੇ ॥

नमो नरक नासे ॥ सदैवं प्रकासे ॥

Salutation to Thee O Destroyer of Hell Lord! Salutation to Thee O Ever-Illumined Lord!

ਅਨੰਗੰ ਸਰੂਪੇ ॥ ਅਭੰਗੰ ਬਿਭੂਤੇ ॥੧੪੫॥

अनंगं सरूपे ॥ अभंगं बिभूते ॥१४५॥

Salutation to Thee O Bodyless Entity Lord! Salutation to Thee O Eternal and Effulgent Lord! 145.

ਪ੍ਰਮਾਥੰ ਪ੍ਰਮਾਥੇ ॥ ਸਦਾ ਸਰਬ ਸਾਥੇ ॥

प्रमाथं प्रमाथे ॥ सदा सरब साथे ॥

Salutation to Thee O Destroyer of Tyrants Lord! Salutation to Thee O Companion of all Lord!

ਅਗਾਧ ਸਰੂਪੇ ॥ ਨ੍ਰਿਬਾਧ ਬਿਭੂਤੇ ॥੧੪੬॥

अगाध सरूपे ॥ न्रिबाध बिभूते ॥१४६॥

Salutation to Thee O Impenetrable Entity Lord! Salution to Thee O Non-annoying Glorious Lord! 146.

ਅਨੰਗੀ ਅਨਾਮੇ ॥ ਤ੍ਰਿਭੰਗੀ ਤ੍ਰਿਕਾਮੇ ॥

अनंगी अनामे ॥ त्रिभंगी त्रिकामे ॥

Salutation to Thee O Limbless and Nameless LordA ! Salutation to Thee O Destroyer and Restorer of three modes Lord !

ਨ੍ਰਿਭੰਗੀ ਸਰੂਪੇ ॥ ਸਰਬੰਗੀ ਅਨੂਪੇ ॥੧੪੭॥

न्रिभंगी सरूपे ॥ सरबंगी अनूपे ॥१४७॥

Salutation tho Thee O Eternal Enity LordA Salutation to Thee O Unique in all respects LordA 147.

ਨ ਪੋਤ੍ਰੈ ਨ ਪੁਤ੍ਰੈ॥ ਨ ਸਤ੍ਰੈ ਨ ਮਿਤ੍ਰੈ ॥

न पोत्रै न पुत्रै॥ न सत्रै न मित्रै ॥

O Lord! Thou art Sonless and Grandsonless. O Lord! Thou art Enemyless and Friendless.

ਨ ਤਾਤੈ ਨ ਮਾਤੈ ॥ ਨ ਜਾਤੈ ਨ ਪਾਤੈ ॥੧੪੮॥

न तातै न मातै ॥ न जातै न पातै ॥१४८॥

O Lord! Thou art Fatherless and Motherless. O Lord! Thou art Casteless. And Lineagless. 148.

ਨ੍ਰਿਸਾਕੰ ਸਰੀਕ ਹੈਂ ॥ ਅਮਿਤੋ ਅਮੀਕ ਹੈਂ ॥

न्रिसाकं सरीक हैं ॥ अमितो अमीक हैं ॥

O Lord! Thou art Relativeless. O Lord! Thou art Limitless and Profound.

ਸਦੈਵੰ ਪ੍ਰਭਾ ਹੈਂ ॥ ਅਜੈ ਹੈਂ ਅਜਾ ਹੈਂ ॥੧੪੯॥

सदैवं प्रभा हैं ॥ अजै हैं अजा हैं ॥१४९॥

O Lord! Thou art Ever Glorious. O Lord! Thou art Unconquerable and Unborn. 149.

ਭਗਵਤੀ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

भगवती छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

BHAGVATI STANZA. BY THY GRACE

ਕਿ ਜ਼ਾਹਿਰ ਜ਼ਹੂਰ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਹਾਜ਼ਿਰ ਹਜ਼ੂਰ ਹੈਂ ॥

कि ज़ाहिर ज़हूर हैं ॥ कि हाज़िर हज़ूर हैं ॥

That Thou art visible illumination. That Thou art All-Prevading.

ਹਮੇਸੁਲ ਸਲਾਮ ਹੈਂ ॥ ਸਮਸਤੁਲ ਕਲਾਮ ਹੈਂ ॥੧੫੦॥

हमेसुल सलाम हैं ॥ समसतुल कलाम हैं ॥१५०॥

That Thou art reveiver of Eternal conpliments. That Thou art Venerated by all. 150

ਕਿ ਸਾਹਿਬ ਦਿਮਾਗ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਹੁਸਨਲ ਚਰਾਗ ਹੈਂ ॥

कि साहिब दिमाग हैं ॥ कि हुसनल चराग हैं ॥

That Thou art Most Intelligent. That Thou art the Lamp of Beauty.

ਕਿ ਕਾਮਲ ਕਰੀਮ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਰਾਜ਼ਕ ਰਹੀਮ ਹੈਂ ॥੧੫੧॥

कि कामल करीम हैं ॥ कि राज़क रहीम हैं ॥१५१॥

That Thou art completely Generous. That Thou art Sustainer and Merciful.151.

ਕਿ ਰੋਜ਼ੀ ਦਿਹਿੰਦ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਰਾਜ਼ਕ ਰਹਿੰਦ ਹੈਂ ॥

कि रोज़ी दिहिंद हैं ॥ कि राज़क रहिंद हैं ॥

That Thou art Giver of Sustenance. That Thou art ever the Sustainer.

ਕਰੀਮੁਲ ਕਮਾਲ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਹੁਸਨਲ ਜਮਾਲ ਹੈਂ ॥੧੫੨॥

करीमुल कमाल हैं ॥ कि हुसनल जमाल हैं ॥१५२॥

That Thou art the perfection of Generosity. That Thou art Most Beautiful. 152.

ਗ਼ਨੀਮੁਲ ਖ਼ਿਰਾਜ ਹੈਂ ॥ ਗ਼ਰੀਬੁਲ ਨਿਵਾਜ਼ ਹੈਂ ॥

ग़नीमुल ख़िराज हैं ॥ ग़रीबुल निवाज़ हैं ॥

That Thou art the Penaliser of enemies. That Thou art the Supporter of the poor.

ਹਰਫ਼ਿੁਲ ਸ਼ਿਕੰਨ ਹੈਂ ॥ ਹਿਰਾਸੁਲ ਫਿਕੰਨ ਹੈਂ ॥੧੫੩॥

हरफ़िुल शिकंन हैं ॥ हिरासुल फिकंन हैं ॥१५३॥

That Thou art the Destroyer of enemies That Thou art the remover of Fear. 153.

ਕਲੰਕੰ ਪ੍ਰਣਾਸ ਹੈਂ ॥ ਸਮਸਤੁਲ ਨਿਵਾਸ ਹੈਂ ॥

कलंकं प्रणास हैं ॥ समसतुल निवास हैं ॥

That Thou art the Destroyer of blemishes. That Thou art the dweller in all.

ਅਗੰਜੁਲ ਗਨੀਮ ਹੈਂ ॥ ਰਜਾਇਕ ਰਹੀਮ ਹੈਂ ॥੧੫੪॥

अगंजुल गनीम हैं ॥ रजाइक रहीम हैं ॥१५४॥

That Thou art invincible by enemies. That Thou art the Sustainer and Gracious. 154.

ਸਮਸਤੁਲ ਜੁਬਾਂ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਸਾਹਿਬ ਕਿਰਾਂ ਹੈਂ ॥

समसतुल जुबां हैं ॥ कि साहिब किरां हैं ॥

That Thou art the Master of all languages. That Thou art the Most Glorious.

ਕਿ ਨਰਕੰ ਪ੍ਰਣਾਸ ਹੈਂ ॥ ਬਹਿਸਤੁਲ ਨਿਵਾਸ ਹੈਂ ॥੧੫੫॥

कि नरकं प्रणास हैं ॥ बहिसतुल निवास हैं ॥१५५॥

That Thou art the Destroyer of hell. That Thou art the dweller in heaven.155.

ਕਿ ਸਰਬੁਲ ਗਵੰਨ ਹੈਂ ॥ ਹਮੇਸੁਲ ਰਵੰਨ ਹੈਂ ॥

कि सरबुल गवंन हैं ॥ हमेसुल रवंन हैं ॥

That Thou art the Goer to all. That Thou art ever Blissful.

ਤਮਾਮੁਲ ਤਮੀਜ ਹੈਂ ॥ ਸਮਸਤੁਲ ਅਜੀਜ ਹੈਂ ॥੧੫੬॥

तमामुल तमीज हैं ॥ समसतुल अजीज हैं ॥१५६॥

That Thou art the knower of all. That Thou art dearest to all. 156.

ਪਰੰ ਪਰਮ ਈਸ ਹੈਂ ॥ ਸਮਸਤੁਲ ਅਦੀਸ ਹੈਂ ॥

परं परम ईस हैं ॥ समसतुल अदीस हैं ॥

That Thou art the Lord of lords. That Thou art hidden from all.

ਅਦੇਸੁਲ ਅਲੇਖ ਹੈਂ ॥ ਹਮੇਸੁਲ ਅਭੇਖ ਹੈਂ ॥੧੫੭॥

अदेसुल अलेख हैं ॥ हमेसुल अभेख हैं ॥१५७॥

That Thou art countryless and accountless. That Thou art ever garbles. 157.

ਜ਼ਮੀਨੁਲ ਜ਼ਮਾਂ ਹੈਂ ॥ ਅਮੀਕੁਲ ਇਮਾਂ ਹੈਂ ॥

ज़मीनुल ज़मां हैं ॥ अमीकुल इमां हैं ॥

That Thou art in Earth and Heaven.. That Thou art Most Profound in signs.

ਕਰੀਮੁਲ ਕਮਾਲ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਜੁਰਅਤਿ ਜਮਾਲ ਹੈਂ ॥੧੍ਹੂ੫੮॥

करीमुल कमाल हैं ॥ कि जुरअति जमाल हैं ॥१्हू५८॥

That Thou art Most Generous. That Thou art embodiment of courage and beauty. 158.

ਕਿ ਅਚਲੰ ਪ੍ਰਕਾਸ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਅਮਿਤੋ ਸੁਬਾਸ ਹੈਂ ॥

कि अचलं प्रकास हैं ॥ कि अमितो सुबास हैं ॥

That Thou art perpetual illumination. That Thou art Limitless fragrance.

ਕਿ ਅਜਬ ਸਰੂਪ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਅਮਿਤੋ ਬਿਭੁੂਤ ਹੈਂ ॥੧੫੯॥

कि अजब सरूप हैं ॥ कि अमितो बिभुूत हैं ॥१५९॥

That Thou art wonderful entity. That Thou art Limitless Grandeur. 159.

ਕਿ ਅਮਿਤੋ ਪਸਾ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਆਤਮ ਪ੍ਰਭਾ ਹੈਂ ॥

कि अमितो पसा हैं ॥ कि आतम प्रभा हैं ॥

That Thou art Limitless Expanse. That Thou art selfluminous.

ਕਿ ਅਚਲੰ ਅਨੰਗ ਹੈਂ ॥ ਕਿ ਅਮਿਤੋ ਅਭੰਗ ਹੈਂ ॥੧੬੦॥

कि अचलं अनंग हैं ॥ कि अमितो अभंग हैं ॥१६०॥

That Thou art Steady and Limbless. That Thou art Infinite and Indestructible. 160.

ਮਧੁਭਾਰ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

मधुभार छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

MADHUBHAR STANZA. BY THY GRACE.

ਮੁਨਿ ਮਨਿ ਪ੍ਰਨਾਮ ॥ ਗੁਨਿ ਗਨ ਮੁਦਾਮ ॥

मुनि मनि प्रनाम ॥ गुनि गन मुदाम ॥

O Lord! The sages bow before Thee in their mind. O Lord! Thou art ever the Treasure of virtues.

ਅਰਿ ਬਰ ਅਗੰਜ ॥ ਹਰਿ ਨਰ ਪ੍ਰਭੰਜ ॥੧੬੧॥

अरि बर अगंज ॥ हरि नर प्रभंज ॥१६१॥

O Lord! Thou canst not be destroyed by great enemies. O Lord! Thou art the Destroyer of all.161.

ਅਨਗਨ ਪ੍ਰਨਾਮ ॥ ਮੁਨਿ ਮਨਿ ਸਲਾਮ ॥

अनगन प्रनाम ॥ मुनि मनि सलाम ॥

O Lord! Innumerable beings bow before Thee. O Lord! The sages salute Thee in their mind.

ਹਰਿ ਨਰ ਅਖੰਡ ॥ ਬਰ ਨਰ ਅਮੰਡ ॥੧੬੨॥

हरि नर अखंड ॥ बर नर अमंड ॥१६२॥

O Lord! Thou art complete controller of men. O Lord! Thou canst not be installed by the chiefs. 162.

ਅਨਭਵ ਅਨਾਸ ॥ ਮੁਨਿ ਮਨਿ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥

अनभव अनास ॥ मुनि मनि प्रकास ॥

O Lord! Thou art eternal knowledge. O Lord! Thou art illumined in the hearts of the sages.

ਗੁਨਿ ਗਨ ਪ੍ਰਨਾਮ ॥ ਜਲ ਥਲ ਮੁਦਾਮ ॥੧੬੩॥

गुनि गन प्रनाम ॥ जल थल मुदाम ॥१६३॥

O Lord! The assemblies of virtuous bow before thee. O Lord! Thou pervadest in water and on land. 163.

ਅਨਿਛੱਜ ਅੰਗ ॥ ਆਸਨ ਅਭੰਗ ॥

अनिछ्ज अंग ॥ आसन अभंग ॥

O Lord! Thy body is unbreakable. O Lord! Thy seat is perpetual.

ਉਪਮਾ ਅਪਾਰ ॥ ਗਤਿ ਮਿਤਿ ਉਦਾਰ ॥੧੬੪॥

उपमा अपार ॥ गति मिति उदार ॥१६४॥

O Lord! Thy Praises are boundless. O Lord! Thy nature is most Generous. 164.

ਜਲ ਥਲ ਅਮੰਡ ॥ ਦਿਸ ਵਿਸ ਅਭੰਡ ॥

जल थल अमंड ॥ दिस विस अभंड ॥

O Lord! Thou art most glorious in water and on land. O Lord! Thou art free from slander at all places.

ਜਲ ਥਲ ਮਹੰਤ ॥ ਦਿਸ ਵਿਸ ਬਿਅੰਤ ॥੧੬੫॥

जल थल महंत ॥ दिस विस बिअंत ॥१६५॥

O Lord! Thou art Supreme in water and on land. O Lord! Thou art endless in all directions. 165.

ਅਨਭਵ ਅਨਾਸ ॥ ਧ੍ਰਿਤ ਧਰ ਧੁਰਾਸ ॥

अनभव अनास ॥ ध्रित धर धुरास ॥

O Lord! Thou art eternal knowledge. O Lord! Thou art Supreme among the contented ones.

ਆਜਾਨ ਬਾਹੁ ॥ ਏਕੈ ਸਦਾਹੁ ॥੧੬੬॥

आजान बाहु ॥ एकै सदाहु ॥१६६॥

O Lord! Thou art the arm of gods. O Lord! Thou art ever the Only One. 166.

ਓਅੰਕਾਰ ਆਦਿ ॥ ਕਥਨੀ ਅਨਾਦਿ ॥

ओअंकार आदि ॥ कथनी अनादि ॥

O Lord! Thou art AUM, the origin of creation. O Lord! Thou art stated to be without beginning.

ਖਲ ਖੰਡ ਖਿਆਲ ॥ ਗੁਰ ਬਰ ਅਕਾਲ ॥੧੬੭॥

खल खंड खिआल ॥ गुर बर अकाल ॥१६७॥

O Lord! Thou destroyest the tyrants instantly. O Lord thou art supreme and Immortal. 167.

ਘਰ ਘਰਿ ਪ੍ਰਨਾਮ ॥ ਚਿਤ ਚਰਨ ਨਾਮ ॥

घर घरि प्रनाम ॥ चित चरन नाम ॥

O Lord! Thou art honoured in every house. O Lord! Thy Feet and Thy Name are meditated in every heart.

ਅਨਿਛੱਜ ਗਾਤ ॥ ਆਜਿਜ ਨ ਬਾਤ ॥੧੬੮॥

अनिछ्ज गात ॥ आजिज न बात ॥१६८॥

O Lord! Thy body never becomes old. O Lord! Thou art never subservient to anybody. 168.

ਅਨਝੰਝ ਗਾਤ ॥ ਅਨਰੰਜ ਬਾਤ ॥

अनझंझ गात ॥ अनरंज बात ॥

O Lord! Thy body is ever steady. O Lord! Thou art free from rage.

ਅਨਟੁਟ ਤੰਡਾਰ ॥ ਅਨਠਟ ਅਪਾਰ ॥੧੬੯॥

अनटुट तंडार ॥ अनठट अपार ॥१६९॥

O Lord! Thy store is inexhaustible. O Lord! Thou art uninstalled and boundless. 169.

ਆਡੀਠ ਧਰਮ ॥ ਅਤਿ ਢੀਠ ਕਰਮ ॥

आडीठ धरम ॥ अति ढीठ करम ॥

O Lord! Thy Law is imperceptible. O Lord! Thy actions are most fearless.

ਅਣਬ੍ਰਣ ਅਨੰਤ ॥ ਦਾਤਾ ਮਹੰਤ ॥੧੭੦॥

अणब्रण अनंत ॥ दाता महंत ॥१७०॥

O Lord! Thou art Invincible and Infinite. O Lord! Thou art the Supreme Donor. 170.

ਹਰਿ ਬੋਲ ਮਨਾ ਛੰਦ ॥ ਤ੍ਵਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

हरि बोल मना छंद ॥ त्वप्रसादि ॥

HARIBOLMANA STANZA, BY THE GRACE

ਕਰੁਣਾਲਯ ਹੈਂ ॥ ਅਰਿ ਘਾਲਯ ਹੈਂ ॥

करुणालय हैं ॥ अरि घालय हैं ॥

O Lord! Thou art the house of Mercy. Lord! Thou art The Destroyer of enemies.

ਖਲ ਖੰਡਨ ਹੈਂ ॥ ਮਹਿ ਮੰਡਨ ਹੈਂ ॥੧੭੧॥

खल खंडन हैं ॥ महि मंडन हैं ॥१७१॥

O Lord! Thou art the killer of evil persons. O Lord! Thou art the ornamentation of Earth. 171.

ਜਗਤੇਸ੍ਵਰ ਹੈਂ ॥ ਪਰਮੇਸ੍ਵਰ ਹੈਂ ॥

जगतेस्वर हैं ॥ परमेस्वर हैं ॥

O Lord! Thou art the Master of the universe. O Lord! Thou art the supreme Ishvara.

ਕਲਿ ਕਾਰਣ ਹੈਂ ॥ ਸਰਬ ਉਬਾਰਣ ਹੈਂ ॥੧੭੨॥

कलि कारण हैं ॥ सरब उबारण हैं ॥१७२॥

O Lord! Thou art the cause of strife. O Lord! Thou art the Saviour of all. 172.

ਧ੍ਰਿਤ ਕੇ ਧ੍ਰਣ ਹੈਂ ॥ ਜਗ ਕੇ ਕ੍ਰਣ ਹੈਂ ॥

ध्रित के ध्रण हैं ॥ जग के क्रण हैं ॥

O Lord! Thou art the support of the Earth. O Lord! Thou art the Creator of the Universe.

ਮਨ ਮਾਨਿਯ ਹੈਂ ॥ ਜਗ ਜਾਨਿਯ ਹੈਂ ॥੧੭੩॥

मन मानिय हैं ॥ जग जानिय हैं ॥१७३॥

O Lord! Thou art worshipped in the heart. O Lord! Thou art known throughout the world.173.

ਸਰਬੰ ਭਰ ਹੈਂ ॥ ਸਰਬੰ ਕਰ ਹੈਂ ॥

सरबं भर हैं ॥ सरबं कर हैं ॥

O Lord! Thou art the Sustainer of all. O Lord! Thou art the Creator of all.

ਸਰਬ ਪਾਸਿਯ ਹੈਂ ॥ ਸਰਬ ਨਾਸਿਯ ਹੈਂ ॥੧੭੪॥

सरब पासिय हैं ॥ सरब नासिय हैं ॥१७४॥

O Lord! Thou pervadest all. O Lord! Thou destroyest all. 174.

ਕਰੁਣਾਕਰ ਹੈਂ ॥ ਬਿਸ੍ਵੰਭਰ ਹੈਂ ॥

करुणाकर हैं ॥ बिस्व्मभर हैं ॥

O Lord! Thou art the Fountain of Mercy. O Lord! Thou art the nourisher of the universe.

ਸਰਬੇਸ੍ਵਰ ਹੈਂ ॥ ਜਗਤੇਸ੍ਵਰ ਹੈਂ ॥੧੭੫॥

सरबेस्वर हैं ॥ जगतेस्वर हैं ॥१७५॥

O Lord! Thou art master of all. Lord! Thou art the Master of Universe. 175

ਬ੍ਰਹਮੰਡਸ ਹੈਂ ॥ ਖਲ ਖੰਡਸ ਹੈਂ ॥

ब्रहमंडस हैं ॥ खल खंडस हैं ॥

O Lord! Thou art the life of the Universe. O Lord! Thou art the destroyer of evil-doers.

ਪਰ ਤੇ ਪਰ ਹੈਂ ॥ ਕਰੁਣਾਕਰ ਹੈਂ ॥੧੭੬॥

पर ते पर हैं ॥ करुणाकर हैं ॥१७६॥

O Lord! Thou art beyond everything. O Lord! Thou art the Fountain of Mercy. 176.

ਅਜਪਾ ਜਪ ਹੈਂ ॥ ਅਥਪਾ ਥਪ ਹੈਂ ॥

अजपा जप हैं ॥ अथपा थप हैं ॥

O Lord! Thou art the unmuttered mantra. O Lord! Thou canst be installed by none.

ਅਕ੍ਰਿਤਾਕ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥ ਅਮ੍ਰਿਤਾਮ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥੧੭੭॥

अक्रिताक्रित हैं ॥ अम्रिताम्रित हैं ॥१७७॥

O Lord! Thy Image canst not be fashioned. O Lord! Thou art Immortal. 177.

ਅਮ੍ਰਿਤਾਮ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥ ਕਰੁਣਾਕ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥

अम्रिताम्रित हैं ॥ करुणाक्रित हैं ॥

O Lord! Thou art immortal. O Lord! Thou art the Merciful Entity.

ਅਕ੍ਰਿਤਾਕ੍ਰਤ ਹੈਂ ॥ ਧਰਣੀਧ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥੧੭੮॥

अक्रिताक्रत हैं ॥ धरणीध्रित हैं ॥१७८॥

O Lord Thy Image canst not be fashioned. O Lord! Thou art the Support of the Earth. 178.

ਅਮ੍ਰਿਤੇਸ੍ਵਰ ਹੈਂ ॥ ਪਰਮੇਸ੍ਵਰ ਹੈਂ ॥

अम्रितेस्वर हैं ॥ परमेस्वर हैं ॥

O Lord! Thou art the Master of Nectar. O Lord! Thou art Supreme Ishvara.

ਅਕ੍ਰਿਤਾਕ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥ ਅਮ੍ਰਿਤਾਮ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥੧੭੯॥

अक्रिताक्रित हैं ॥ अम्रिताम्रित हैं ॥१७९॥

O Lord! Thy Image canst not be fashioned. O Lord! Thou art Immortal. 179.

ਅਜਬਾਕ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥ ਅਮ੍ਰਿਤਾਅਮ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥

अजबाक्रित हैं ॥ अम्रिताअम्रित हैं ॥

O Lord! Thou art of Wonderful Form.O Lord! Thou art Immortal.

ਨਰ ਨਾਇਕ ਹੈਂ ॥ ਖਲ ਘਾਇਕ ਹੈਂ ॥੧੮੦॥

नर नाइक हैं ॥ खल घाइक हैं ॥१८०॥

O Lord! Thou art the Master of men. O Lord! Thou art the destroyer of evil persons. 180.

ਬਿਸ੍ਵੰਭਰ ਹੈਂ ॥ ਕਰੁਣਾਲਯ ਹੈਂ ॥

बिस्व्मभर हैं ॥ करुणालय हैं ॥

O Lord! Thou art the Nourisher of the world. O Lord! Thou art the House of Mercy.

ਨ੍ਰਿਪ ਨਾਇਕ ਹੈਂ ॥ ਸਰਬ ਪਾਇਕ ਹੈਂ ॥੧੮੧॥

न्रिप नाइक हैं ॥ सरब पाइक हैं ॥१८१॥

O Lord! Thou art the Lord of the kings. O Lord! Thou art the Protector of all. 181.

ਭਵ ਭੰਜਨ ਹੈਂ ॥ ਅਰਿ ਗੰਜਨ ਹੈਂ ॥

भव भंजन हैं ॥ अरि गंजन हैं ॥

O Lord! Thou art the destroyer of the cycle of transmigration. O Lord! Thou art the conqueror of enemies.

ਰਿਪੁ ਤਾਪਨ ਹੈਂ ॥ ਜਪੁ ਜਾਪਨ ਹੈਂ ॥੧੮੨॥

रिपु तापन हैं ॥ जपु जापन हैं ॥१८२॥

O Lord! Thou causest suffering to the enemies. O Lord! Thou makest others to repeat Thy Name.182.

ਅਕਲੰਕ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥ ਸਰਬਾਕ੍ਰਿਤ ਹੈਂ ॥

अकलंक्रित हैं ॥ सरबाक्रित हैं ॥

O Lord! Thou art free from blemishes. O Lord! All are Thy Forms.

ਕਰਤਾ ਕਰ ਹੈਂ ॥ ਹਰਤਾ ਹਰਿ ਹੈਂ ॥੧੮੩॥

करता कर हैं ॥ हरता हरि हैं ॥१८३॥

O Lord! Thou art the Creator of the creators. O Lord! Thou art the Destroyer of the destroyers. 183.

ਪਰਮਾਤਮ ਹੈਂ ॥ ਸਰਬਾਤਮ ਹੈਂ ॥

परमातम हैं ॥ सरबातम हैं ॥

O Lord! Thou art the Supreme Soul. Lord! Thou art the origin of all the souls.

ਆਤਮ ਬਸ ਹੈਂ ॥ ਜਸ ਕੇ ਜਸ ਹੈਂ ॥੧੮੪॥

आतम बस हैं ॥ जस के जस हैं ॥१८४॥

O Lord! Thou art controlled by Thyself. O Lord! Thou art not subject. 184.

ਭੁਜੰਗ ਪ੍ਰਯਾਤ ਛੰਦ ॥

भुजंग प्रयात छंद ॥

BHUJANG PRAYAAT STANZA

ਨਮੋ ਸੂਰਜ ਸੁਰਜੇ ਨਮੋ ਚੰਦ੍ਰ ਚੰਦ੍ਰੇ ॥

नमो सूरज सुरजे नमो चंद्र चंद्रे ॥

Salutation to Thee O Sun of suns! Salutation to Thee O Moon of moons!

ਨਮੋ ਰਾਜ ਰਾਜੇ ਨਮੋ ਇੰਦ੍ਰ ਇੰਦ੍ਰੇ॥

नमो राज राजे नमो इंद्र इंद्रे॥

Salutation to Thee O King of kings! Salutation to thee O Indra of Indras!

ਨਮੋ ਅੰਧਕਾਰੇ ਨਮੋ ਤੇਜ ਤੇਜੇ ॥

नमो अंधकारे नमो तेज तेजे ॥

Salutation to Thee O Creator of pitch darkness! Salutation to Thee O Light of lights.!

ਨਮੋ ਬ੍ਰਿੰਦ ਬ੍ਰਿੰਦੇ ਨਮੋ ਬੀਜ ਬੀਜੇ ॥੧੮੫॥

नमो ब्रिंद ब्रिंदे नमो बीज बीजे ॥१८५॥

Salutation to Thee O Greatest of the great (multitudes) Salutation to Three O Subtlest of the subtle ! 185

ਨਮੋ ਰਾਜਸੰ ਤਾਮਸੰ ਸਾਂਤਿ ਰੂਪੇ ॥

नमो राजसं तामसं सांति रूपे ॥

Salutation to Thee O embodiment of peace! Salutation to Thee O Entity bearing three modes!

ਨਮੋ ਪਰਮ ਤੱਤੰ ਅਤਤੰ ਸਰੂਪੇ ॥

नमो परम त्तं अततं सरूपे ॥

Salutation to Thee O Supreme Essence and Elementless Entity!

ਨਮੋ ਜੋਗ ਜੋਗੇ ਨਮੋ ਗਿਆਨ ਗਿਆਨੇ ॥

नमो जोग जोगे नमो गिआन गिआने ॥

Salutation to Thee O Fountain of all Yogas! Salutation to Thee O Fountain of all knowledge!

ਨਮੋ ਮੰਤ੍ਰ ਮੰਤ੍ਰੇ ਨਮੋ ਧਿਆਨ ਧਿਆਨੇ ॥੧੮੬॥

नमो मंत्र मंत्रे नमो धिआन धिआने ॥१८६॥

Salutation to Thee O Supreme Mantra! Salutation to Thee O highest meditation 186.

ਨਮੋ ਜੁਧ ਜੁਧੇ ਨਮੋ ਗਿਆਨ ਗਿਆਨੇ ॥

नमो जुध जुधे नमो गिआन गिआने ॥

Salutation to Thee O Conqueror of wars! Salutation to Thee O Fountain of all knowledge!

ਨਮੋ ਭੋਜ ਭੋਜੇ ਨਮੋ ਪਾਨ ਪਾਨੇ ॥

नमो भोज भोजे नमो पान पाने ॥

Salutation to Thee O Essence of Food ! Salutation to Thee O Essence of Warter !

ਨਮੋ ਕਲਹ ਕਰਤਾ ਨਮੋ ਸਾਂਤਿ ਰੂਪੇ ॥

नमो कलह करता नमो सांति रूपे ॥

Salutation to Thee O Originator of Food! Salutation to Thee O Embodiment of Peace!

ਨਮੋ ਇੰਦ੍ਰ ਇੰਦ੍ਰੇ ਅਨਾਦੰ ਬਿਭੂਤੇ ॥੧੮੭॥

नमो इंद्र इंद्रे अनादं बिभूते ॥१८७॥

Salutation to Thee O Indra of Indras! Salutation to Thee O Beginningless Effulgence! 187.

ਕਲੰਕਾਰ ਰੂਪੇ ਅਲੰਕਾਰ ਅਲੰਕੇ ॥

कलंकार रूपे अलंकार अलंके ॥

Salutation to Thee O Entity inimical to blemishes! Salutation to Thee O Ornamentation of the ornaments

ਨਮੋ ਆਸ ਆਸੇ ਨਮੋ ਬਾਂਕ ਬੰਕੇ ॥

नमो आस आसे नमो बांक बंके ॥

Salutation to Thee O Fulfiller of hopes! Salutation to Thee O Most Beautiful!

ਅਭੰਗੀ ਸਰੂਪੇ ਅਨੰਗੀ ਅਨਾਮੇ ॥

अभंगी सरूपे अनंगी अनामे ॥

Salutation to Thee O Eternal Entity, Limbless and Nameless!

ਤ੍ਰਿਭੰਗੀ ਤ੍ਰਿਕਾਲੇ ਅਨੰਗੀ ਅਕਾਮੇ ॥੧੮੮॥

त्रिभंगी त्रिकाले अनंगी अकामे ॥१८८॥

Salutation to Thee O Destroyer of three worlds in three tenses! Salutation to O Limbless and Desireless Lord! 188.

ਏਕ ਅਛਰੀ ਛੰਦ ॥

एक अछरी छंद ॥

EK ACHHARI STANZA

ਅਜੈ ॥ ਅਲੈ ॥ ਅਭੈ ॥ ਅਬੈ ॥੧੮੯॥

अजै ॥ अलै ॥ अभै ॥ अबै ॥१८९॥

O Unconquerable Lord! O Indestructible Lord! O Fearless Lord! 189.

ਅਭੂ ॥ ਅਜੂ ॥ ਅਨਾਸ ॥ ਅਕਾਸ ॥੧੯੦॥

अभू ॥ अजू ॥ अनास ॥ अकास ॥१९०॥

O Unborn Lord! O Perpetual Lord! O Indestructible Lord! O All-Pervasive Lord! 190.

ਅਗੰਜ ॥ ਅਭੰਜ ॥ ਅਲਖ॥ ਅਭਖ॥੧੯੧॥

अगंज ॥ अभंज ॥ अलख॥ अभख॥१९१॥

Eternal Lord! O Indivisible Lord! O Unknowable Lord! O Uninflammable Lord! 191

ਅਕਾਲ ॥ ਦਿਆਲ ॥ ਅਲੇਖ ॥ ਅਭੇਖ ॥੧੯੨॥

अकाल ॥ दिआल ॥ अलेख ॥ अभेख ॥१९२॥

O Non-Temporal Lord! O Merciful Lord! O Accountless Lord! O Guiseless Lord! 192.

ਅਨਾਮ ॥ ਅਕਾਮ ॥ ਅਗਾਹ ॥ ਅਢਾਹ ॥੧੯੩॥

अनाम ॥ अकाम ॥ अगाह ॥ अढाह ॥१९३॥

O Nameless Lord! O Desireless Lord! O Unfathomable Lord! O Unfaltering Lord! 193.

ਅਨਾਥੇ ॥ ਪ੍ਰਮਾਥੇ॥ ਅਜੋਨੀ ॥ ਅਮੋਨੀ ॥੧੯੪॥

अनाथे ॥ प्रमाथे॥ अजोनी ॥ अमोनी ॥१९४॥

O Masterless Lord! O Greatest-Glorious Lord! O Birthless Lord! O Silenceless Lord! 194.

ਨ ਰਾਗੇ ॥ ਨ ਰੰਗੇ ॥ ਨ ਰੂਪੇ ॥ ਨ ਰੇਖੇ ॥੧੯੫॥

न रागे ॥ न रंगे ॥ न रूपे ॥ न रेखे ॥१९५॥

O Unattached Lord ! O Colorless Lord ! O Formless Lord ! O Lineless Lord ! 195

ਅਕਰਮੰ ॥ ਅਭਰਮੰ ॥ ਅਗੰਜੇ ॥ ਅਲੇਖੇ ॥੧੯੬॥

अकरमं ॥ अभरमं ॥ अगंजे ॥ अलेखे ॥१९६॥

O Actionless Lord! O Illusionless Lord! O Indestructible Lord! O Accountless Lord! 196

ਭੁਜੰਗ ਪ੍ਰਯਾਤ ਛੰਦ ॥

भुजंग प्रयात छंद ॥

BHUJANG PRAYAAT STANZA

ਨਮਸਤੁਲ ਪ੍ਰਣਾਮੇ ਸਮਸਤੁਲ ਪ੍ਰਣਾਸੇ ॥

नमसतुल प्रणामे समसतुल प्रणासे ॥

Salutation to Thee O Most Venerated and Destroyer of all Lord!

ਅਗੰਜੁਲ ਅਨਾਮੇ ਸਮਸਤੁਲ ਨਿਵਾਸੇ ॥

अगंजुल अनामे समसतुल निवासे ॥

Salutation to Thee O Indestructible, Nameless and All-Pervading Lord!

ਨ੍ਰਿਕਾਮੰ ਬਿਭੂਤੇ ॥ ਸਮਸਤੁਲ ਸਰੂਪੇ ॥

न्रिकामं बिभूते ॥ समसतुल सरूपे ॥

Salutation to Thee O Desireless, Glorious and All-Pervading Lord!

ਕੁਕਰਮੰ ਪ੍ਰਣਾਸੀ ਸੁਧਰਮੰ ਬਿਭੂਤੇ ॥੧੯੭॥

कुकरमं प्रणासी सुधरमं बिभूते ॥१९७॥

Salutation to Thee O Destroyer of Evil and Illuminator of Supreme Piety Lord! 197.

ਸਦਾ ਸੱਚਿਦਾਨੰਦ ਸੱਤ੍ਰੰ ਪ੍ਰਣਾਸੀ ॥

सदा स्चिदानंद स्त्रं प्रणासी ॥

Salutation to Thee O Perpetual Embodiment of Truth, Consciousness and Bliss and Destroyer of enemies Lord!

ਕਰੀਮੁਲ ਕੁਨਿੰਦਾ ਸਮਸਤੁਲ ਨਿਵਾਸੀ ॥

करीमुल कुनिंदा समसतुल निवासी ॥

Salutation to Thee O Gracious Creator and All-Pervading Lord!

ਅਜਾਇਬ ਬਿਭੂਤੇ ਗਜਾਇਬ ਗਨੀਮੇ ॥

अजाइब बिभूते गजाइब गनीमे ॥

Salutation to Thee O Wonderful, Glorious and Calamity for enemies Lord!

ਹਰੀਅੰ ਕਰੀਅੰ ਕਰੀਮੁਲ ਰਹੀਮੇ॥੧੯੮॥

हरीअं करीअं करीमुल रहीमे॥१९८॥

Salutation to Thee O Destroyer, Creator, Gracious and Merciful Lord! 198.

ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਵਰਤੀ ਚੱਤ੍ਰ ਚੱਕ੍ਰ ਭੁਗਤੇ ॥

च्त्र च्क्र वरती च्त्र च्क्र भुगते ॥

Salutation to Thee O Pervader and Enjoyer in all the four directions Lord!

ਸੁਯੰਭਵ ਸੁਭੰ ਸਰਬਦਾ ਸਰਬ ਜੁਗਤੇ ॥

सुय्मभव सुभं सरबदा सरब जुगते ॥

Salutation to Thee O Self-Existent, Most Beautiful and United with all Lord!

ਦੁਕਾਲੰ ਪ੍ਰਣਾਸੀ ਦਿਆਲੰ ਸਰੂਪੇ ॥

दुकालं प्रणासी दिआलं सरूपे ॥

Salutation to Thee O Destroyer of hard times and Embodiment of Mercy Lord!

ਸਦਾ ਅੰਗ ਸੰਗੇ ਅਭੰਗੰ ਬਿਭੂਤੇ ॥੧੯੯॥

सदा अंग संगे अभंगं बिभूते ॥१९९॥

Salutation to thee O Ever present with all, Indestructible and Glorious Lord! 199.

About Jaap Sahib ji

Jaap Sahib, given place of prominence in the Dasam Granth is the invocation made by the khalsa-a hymn in praise of the omnipotent God. The attributes and qualities of God delineated herein are based on the transcendental nature of God, He who is without attributes as in the ideology of Nirgunwad. While on one hand the form and shape of the Almighty God as portrayed in Gurbani have been further honed and highlighted, on the other hand there is an elaboration and embellishment of it. There is specific purpose behind this literary creation and it has been written in a unique style.

In fact, of all the transcendental literature written in the middle age the Jaap Sahib stands out unique for delineating the humanitarian attributes of God who is without attributes by presenting them in a worldly and universal form. It has proved itself as a cardinal literary piece in all northern Indian literature for its brilliance, sublimity and majesty. The Jaap Sahib has no equal.

The Jaap Sahib has evolved as the product of extensive reflection, cogitation and deliberation through moments of awe and reverence experienced by Guru Gobind Singh Ji. In this creation the various attributes of God almighty have been depicted. He is without caste, without creed, without community, without religion and he is fearless. He is the destroyer of enemies too. This aspect of “the destroyer of evil” proved a great force as it enthused the terror stricken multitudes into such an awesome force of might and courage that it could not be suppressed any more.

From the point of view of diction and style too it is a matchless piece of writing. The vocabulary used and the connotations suggested by these words have lent it a universalism that makes it significant and meaningful for people of all religions. This is why people of varied religious backgrounds have accepted it and even today read it with great devotion. Indeed, the quintessential message of gurbani is not limited to followers of any one religion but hold true for people of all religions. This is why it is said to have a universal appeal. Infact, this universalism is not limited to the message only. It also holds true for the language or diction. Because for gurbani every language is pure, every word is sacred.

Another outstanding feature of the Jaap Sahib is the beautiful and amazing manner in which worship and might merge together. Might or power by itself is blind. When it gets bound to worship instead of becoming the destroyer of mankind it becomes the destroyer of evil. These writings encourage the saint-soldier to participate in war as the metre and rhyme scheme, full of alliteration and rhythm is set to martial moves. At the same time care has been taken that all moral values and norms of society are upheld while fighting evil.

Nitnem 5:00 AM

Japji Sahib ji

Guru Nanak Dev Ji’s Mool Mantra followed by 38 hymns and a final Salok is at the very beginning of the Guru Granth Sahib. It is regarded as the most important Bani or ‘set of verses’ and is recited every morning by all practicing Sikhism.

Jaap Sahib ji

Jaap Sahib was composed by Sri Guru Gobind Singh ji. The Jaap Sahib is the first Bani in the Dasam Granth, which is said to have been compiled by Bhai Mani Singh around the year 1734.

Tav Prasad Savaiye

This is a short hymn of 10 stanzas. It is a part of Guru Gobind Singh’s composition Akal Ustat (The praise of God). This Bani appears in the Dasam Granth on pages 13 to 15.

Chaupai Sahib ji

Chaupai is the 405th Chittar of the Charitropakhyan of the Dasam Granth by Guru Gobind Singh ji. Sikhs recite this Bani to gain spiritual safety and defense from external and internal enemies, worries and afflictions. The Gurmukhi gives one self-confidence and an upbeat feeling. This Bani gives one the feeling of reliability and dependability on Wahe Guru Ji.

Anand Sahib ji

The word Anand means complete happiness and it is said that the person reciting this Bani in the morning with dedication, attention, and comprehension can achieve happiness and peace of mind. The Anand Sahib is written by Guru Amar Das ji, the third Guru. This Bani appears on pages 917 to 922 of Sri Guru Granth Sahib ji.

Ardas

The Ardās is done before performing or after undertaking any significant task; after reciting the morning and evening Banis, at the completion of a service like the Paath, kirtan or any other religious program. Ardās may also be said before and after eating. The prayer is a supplication to God to support and help the devotee with whatever he or she is about to undertake or has done.

Nit-Nem (literally “Daily Naam”) is a collaboration of different banis that were designated to be read by Sikhs every day at different times of the day.Sikhs read nitnems at Gurdwaras. The Nit-Nem bani’s usually include the Panj bania (5 bani’s below) which are read daily by baptized Sikhs in the morning between 3:00 am and 6:00 am (this period is considered as Amrit Vela or the Ambrosial Hours) and Rehras Sahib in the evening 6pm and Kirtan Sohila at night 9pm

Bani
Shabad Hazare

Shabad Hazare

Guru Gobind Singh ji describes his philosophy and inherent beliefs of Dharam and its perception. Speaking against mindless rituals, and beliefs in many Gods (as opposed to belief in the One), the ballads narrate the greatness of the Almighty.

Rehras Sahib ji

Rehras Sahib

Rehraas Sahib is collection of hymns of five different Gurus. The Rehras as recorded in the Guru Granth Sahib contains hymns of only Guru Nanakji, Guru Amardas ji, Guru Ramdas ji and Guru Arjan Dev ji. The compositions of Guru Gobind Singh ji were added in Rehras Sahib.

Kirtan Sohila Sahib

Kirtan Sohila

Three Gurus — Guru Nanak, Guru Ram Das and Guru Arjan – contributed five shabads on the pain of separation and celebrating the bliss of union. The first three Shabads were uttered by Guru Nanak, the fourth by Guru Ram Das and the fifth by Guru Arjan Dev. This is the night prayer said by all Sikhs before sleeping.

Arti

Aarti

This is a compiled Bani from Guru Granth Sahib Ji and Dasam Granth. Various parts are composed by Guru Nanak Dev Ji, Bhagat Kabir ji, Bhagat RaviDass Ji and Guru Gobind Singh Ji.

Sukhmani Sahib

Sukhmani Sahib

Sukhmani literally means Peace in your mind. this Bani is believed to bring peace to one’s mind and compoundly peace to the world. This set of 192 hymns were compiled by the fifth Sikh Guru, Guru Arjan Dev Ji. This is divided into 24 sections in the Sri Guru Granth Sahib ji on page 262. Each section, which is called an Ashtpadi(asht means 8), consists of 8 hymns per Ashtpadi.

Asa Di Var

Asa Di Var

It is a collection of 24 pauris or stanzas by Guru Nanak Dev ji on page 462-475 in Sri Guru Granth Sahib ji. Guru Arjan Dev ji also added a few Sloks of Guru Angad Dev ji. These Sloks are tied together in a way that they relate to the same theme as highlighted in the pauri. Asa Di Var also contains a few shabads recited by Guru Ram Das ji.

Ramkali Ki Vaar

Ramkali Ki Vaar

Ramkali Ki Var, also known as Tikke di Var, is the joint composition of the Balvand and Satta. The Var comprises of eight pauns or stanzas, of unequal length, varying from seven to twenty-one lines.

Basant Ki Var

Basant Ki Var

Basant Ki Var, by Guru Arjan Dev, is the shortest of the twentytwo vars. Vars are heroic ballads included in the Guru Granth Sahib. Basant, is the Punjabi word for spring from which the musical measure the Var derives its title. Like Malhar (the raga of the rainy season) the Basant Ki Var is an ancient seasonal raga – the raga of springtime.

Barah Maah Maajh

Barah Maah Maajh

It is a form of folk poetry in which the emotions and yearnings of the human heart are expressed in terms of the changing moods of Nature over the twelve months of the year. Guru Nanak Dev ji’s Barah Maha is the oldest composition in this genre transforming into spirituality. This is followed by Guru Arjan’s Barah Maha.

Dukh Bhanjani Sahib

Dukh Bhanjani Sahib

It begins with the shabad “Dukh bhanjan tera naam meaning “The Destroyer of Suffering is Thy Name”. It is a compilation of scripture which includes many shabads written by fifth Guru Arjun Dev ji during the illness and healing of his young son sixth Guru Hargobind ji.

Akal Ustat

Akal Ustat

It is the second Bani in the Dasam Granth. This text spans from page 33 to page 94. It is composed of 271 verses, and is largely devotional in nature. ‘Akal’ translates to ‘Immortal’ and ‘Ustat’ translates to ‘praise of’. The text describes the many forms of the Almighty in nature, and how mankind perceives this great entity.

Chandi Ki Var

Chandi Ki Var

Chandi di Var also known as Var Sri Bhagauti Ji is a composition included in the 5th chapter of Dasam Granth. It is based on an episode from the Sanskrit work Markandeya Purana, and describes the conflict between the Gods and the Demons. The first part of the Var is known as the “Ardas”, the opening Section of Sikh prayer which invokes the names of the Gurus.

Swayie Mahalla 5

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Swayie Mahalla 1 Ke

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Swayie Mahalla 2 Ke

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Swayie Mahalla 3 Ke

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Swayie Mahalla 4 Ke

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Swayie Mahalla 5 Ke

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Shabad Hazare Patshahi 10

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